- जेएमएम के सहयोगी दलों के विधायकों में मंत्री बनने की होड़ लगी
- प्रभारी को चुनाव करने में छूट रहे हैं पसीने
- मंत्री बनने के लिए राजनेताओं की दिल्ली और पटना की दौड़ जारी
- कांग्रेस ने पहले डिप्टी सीएम और उसके बाद स्पीकर का पद लेने की जुगत में
- अनुभव के आधार पर माइंड गेम खेल रही है कांग्रेस
- आत्मविश्वास से लवरेज झामुमो संगठन मजबूत पर करने पर करेगी काम
Inside Story : झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुखिया हेमंत सोरेन सीएम पद की शपथ ले चुके हैं. बंपर जीत के बावजूद हेमंत सोरेन को अकेले शपथ लेनी पड़ी. वजह हर विधायक को मंत्री बनने की चाहत है. जी हां, झारखंड में इंडिया ब्लॉक को भारी जीत मिली लेकिन जेएमएम के घटक दलों में मंत्री बनने की होड़ लगी हुई है. कांग्रेस के दर्जनभर से ज्यादा विधायक दिल्ली में कल तक डेरा डाले हुए थे. इसलिए हाईकमान तय नहीं कर पा रहा है कि मंत्री पद की जिम्मेदारी किसको दी जाए और किसको नहीं. यही हाल आरजेडी का भी है. पिछले चुनाव में एक सीट जीतने वाली आरजेडी इस बार चार सीटें जीत चुकी है, और चारों विधायक मंत्री बनने की होड़ में लगे हैं. ऐसे में आरजेडी के लिए भी तय कर पाना आसान नहीं हो रहा है.
सूत्रों की मानें तो सीपीआई(एमएल) औपचारिक तौर पर शामिल होगी सरकार में या नहीं, ये तय इसलिए भी नहीं हो पाया है क्योंकि सीपीआई(एमएल) भी दोनों जीते विधायक को मंत्री बनाने की इच्छा रख रही है. ऐसे में हेमंत सोरेन ने अकेले शपथ लेकर मैसेज साफ दिया है कि इस बार के झारखंड की सरकार हेमंत सोरेन की वजह से बनी है. इसलिए हेमंत जैसा चाहेंगे वैसे ही सरकार चलेगी. दबाव में हेमंत सरकार आने वाले नहीं.
कांग्रेस-आरजेडी में मंत्री बनने को लेकर होड़
कांग्रेस के चार मंत्रियों में एक बन्ना गुप्ता की हार हुई है. बन्ना गुप्ता सरयू राय से जमशेदपुर पश्चिम में हारे हैं. पिछले सरकार में कांग्रेस कोटे से तीन मंत्री जीत गए हैं लेकिन इस बार कांग्रेस कोटे से जीतने वाले कई विधायक मंत्री बनने के लिए दिल्ली से लेकर रांची तक एक किए हुए हैं. कांग्रेस ने पर्यवेक्षक के तौर पर तारीक अनवर को झारखंड भेजा. मगर, प्रभारी गुलाम अहमद मीर और तारीक अनवर की जोडी झारखंड में कांग्रेस कोटे से चार नेताओं का चुनाव करने में अब तक सफलता हासिल नहीं की है.
यही हाल आरजेडी का भी है, जहां चार जीते हुए विधायक में कम से कम दो तो मंत्री हर हाल में बनने को लेकर हर दांव लगाए हुए हैं. ऐसे में आरजेडी कोटे से दो मंत्री बनाया जाए लेकिन हेमंत सोरेन ने आरजेडी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को साफ मैसेज दे दिया है कि कांग्रेस कोटे से चार और आरजेडी कोटे से एक मंत्री बनाए जाएंगे. जाहिर है कांग्रेस और आरजेडी अपने घर की कलह को संभालने में जुट गई है. वहीं सीपीआई(एमएल) के दो जीते हुए विधायक भी मंत्री बनने की होड़ में हैं. ऐसे में हेमंत सोरेन उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल करेंगे ये वो बाहर से समर्थन देंगे, इसका फैसला कल हो पाएगा.
अब कांग्रेस स्पीकर पद मांग रही?
हेमंत सोरेन की सरकार हेमंत के नेतृत्व में चलेगी, ये आज अकेले शपथ लेकर हेमंत सोरेन ने साफ मैसेज दे दिया है. सोरेन का कद झारखंड में इंडिया ब्लॉक के नेताओं से कहीं बड़ा दिख रहा है. इसलिए परिणाम को देखते हुए बाकी के घटक दलों को हेमंत सोरेन की बात मानने के लिए मजबूर होने पड़ेगा, ये तय दिख रहा है. सोरेन ने कांग्रेस और आरजेडी को साफ मैसेज दे दिया है कि अपने कोटे से मंत्री को लेकर चुनाव कर लें लेकिन कांग्रेस से चार और आरजेडी से एक से ज्यादा वो मंत्रीमंडल में जगह देने को तैयार नहीं हैं.
सूत्रों के मुताबिक हेमंत सोरेन के साफ मैसेजिंग के बाद कांग्रेस अब तीन मंत्री और एक स्पीकर का पद मांग रही है. पहले कांग्रेस उपमुख्यमंत्री का पद चाह रही थी. झारखंड के चुनावी परिणाम आने के बाद झारखंड के कांग्रेस के दिग्गज नेता सुबोधकांत सहाय ने कांग्रेस के लिए उपमुख्यमंत्री के पद की मांग की थी. मगर, हेमंत के साफ मना करने के बाद कांग्रेस अब स्पीकर पद की मांग करने में जुट गई है.
जेएमएम के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जेएमएम कांग्रेस को स्पीकर का पद भी देने को तैयार नहीं है. जाहिर है अब कांग्रेस को चार मंत्रालय से संतुष्ट होना पड़ेगा और झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व को पूरी तरह मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. इस सरकार में कांग्रेस भले ही 16 विधायक जीतकर आई है लेकिन जेएमएम के पास अकेले 34 विधायक हैं और सरकार चलाने के लिए 7 और विधायकों की जरूरत हैं, जो आसानी से पूरी की जा सकती है. वहीं कांग्रेस के विधायक जानते हैं कि कांग्रेस को मिली 16 सीटों पर जीत में बड़ा योगदान हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन का है. इसलिए कांग्रेस पिछली सरकार की तरह इस बार हेमंत सोरेन पर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है.
संगठन मजबूत करने के पक्ष में हेमंत
संथाल परगना और कोल्हाण में हेमंत सोरेन को शानदार सफलता मिली है. कुल 28 सीटों में हेमंत सोरेन और उनके घटक दल 27 सीट जीतने में कामयाब रहे हैं. जाहिर है आदिवासियों से मिले जोरदार समर्थन के बाद हेमंत सोरेन सरकार में आदिवासियों का ज्यादा वर्चस्व दिखाने के पक्ष में हैं. इसलिए जेएमएम कोटे से कुछ नए चेहरे को मौका दिया जा सकता है. वहीं हेमंत सोरेन ने संगठन की जिम्मेदारी अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को देने का मन बना लिया है.
पिछले कुछ महीने में जिस तरह से हेमंत सोरेन की पत्नी झारखंड में बड़े नेता के तौर पर उभरी हैं, इससे हेमंत सोरेन को बड़ी ताकत मिली है. हेमंत को महिलाओं की भी बड़ी आबादी का साथ मिला है. इसलिए हेमंत महिलाओं के पक्ष में कई फैसले लेकर झारखंड में जेएमएम की पकड़ मजबूत करने की फिराक में हैं. जेएमएम अब इस फिराक में है कि अगली सरकार जेएमएम अपने दम पर बना सकें. इसलिए संगठन के तौर पर मजबूती प्राप्त कर झारखंड में जेएमएम अपना पैर पसारना चाह रही है.
जाहिर है झारखंड में मिली जोरदार सफलता के बाद अब हेमंत आत्मविश्वास से लबरेज हैं और पार्टी की मजबूत करने को लेकर आगे की सोच रहे हैं. ऐसे में हेमंत मान चुके हैं कि जनता से मिले फैसले के बाद उन्हें अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए जो काम करने हैं, उन्हें इस अवधि में पूरा कर जेएमएम को अपने पैर पर खड़ा करने की पुरोजर कोशिश करनी है. इसलिए पार्टी छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भी पैर पसारने का सोच रही है.