International Men’s Day : पुरुष होने का अर्थ

Bindash Bol

ध्रुव गुप्त
(आईपीएस)
International Men’s Day : आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस है _ पुरुषों की उपलब्धियों और और परिवार, समाज, समुदाय और राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान को याद करने का दिन। हमारी भारतीय संस्कृति में पुरुष होने के अर्थ की एक अद्भुत व्याख्या है। कहा गया कि सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा ने अपनी काया को दो भागों में बांट दिया _ का और या। पुरुष हिस्से को नाम था स्वयंभुव मनु और स्त्री हिस्से का शतरूपा। दोनों के मेल से पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पति हुई। इसे समझाने के लिए अर्द्धनारीश्वर की कल्पना की गई। अपने आप में संपूर्ण न तो पुरुष है और न ही स्त्री। रचना के बाद पुरुष और स्त्री दोनों ही अपने आधे हिस्से की तलाश में भटक रहे हैं। पुरुष को टुकड़ों में उस आधे हिस्से की उपलब्धि का सुख कभी मां में मिलता है, कभी बहन में, कभी प्रेमिका में, कभी स्त्री मित्रों में, कभी पत्नी में। चैन फिर भी नहीं। अधूरेपन का यह अहसास उम्र भर नहीं जाता। संपूर्णता की यह तलाश अगर पूरी होगी तो उसके अपने भीतर ही पूरी होगी। एक पुरुष का सबसे बड़ा पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष नहीं, अपने अंदर के स्त्रीत्व से साक्षात्कार है। जिस दिन वह अपने भीतर की स्त्री को उसके तमाम प्रेम, ममत्व, करुणा और कोमलता सहित पहचान और अपने जीवन में उतार लेगा, उस दिन उसकी तलाश स्वतः पूरी हो जाएगी। उसकी अपनी और दुनिया की भी समस्याओं के हल का यह एकमात्र रास्ता है। तब पृथ्वी से इतर किसी स्वर्ग की खोज नहीं करनी होगी। हिंसा, क्रूरता और निर्ममता से मुक्त हमारी यह पृथ्वी स्वर्ग बन जाएगी।

Share This Article
Leave a Comment