ISI : चिटगांव, बांग्लादेश के #रामू छावनी में स्थित बांग्लादेश सेना के 10वें इन्फैंट्री डिवीजन हेडक्वार्टर का तीन पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों की गुप्त यात्रा ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।
म्यांमार की सीमा के निकट स्थित रामू छावनी को अप्रैल 2025 से बांग्लादेश ने अति-संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठान में परिवर्तित कर दिया है,क्यूंकि यह बांग्लादेश सेना के उन अग्रिम ऑपरेशन्स का मुख्य केंद्र है जहाँ से रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश में घुसपैठ करने से रोकने के बदले अराकान आर्मी को रसद आपूर्ति करता है।
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य और खुफिया साझेदारी को भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती मान रहा है।
चिन्ता यह है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश की ज़मीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर सकता है।
ब्रिगेडियर जनरल नदीम अहमद, ब्रिगेडियर जनरल मुहम्मद तल्हा और ब्रिगेडियर जनरल साऊद अहमद राव—ये तीनों अधिकारी पाकिस्तान सेना के मेडिकल कोर से जुड़े हैं, लेकिन इनकी वर्तमान बांग्लादेश यात्रा का उद्देश्य बेहद संदिग्ध माना जा रहा है। इन अधिकारियों के पासपोर्ट पर कोई यात्रा चिह्न नहीं है, जिससे इनकी यात्रा का गुप्त और विशेष उद्देश्य साफ झलकता है।
रामू छावनी, जो म्यांमार सीमा के बेहद करीब स्थित है, बांग्लादेश यहां से अराकान आर्मी को रसद और हथियार सप्लाई करता है, ऐसे में पाकिस्तानी अधिकारियों की यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि किसी बड़े सैन्य या खुफिया गठजोड़ की ओर इशारा करती है।
बांग्लादेश के एक रिटायर्ड जनरल के अनुसार, “इनकी मौजूदगी निश्चित रूप से किसी गुप्त मिशन का हिस्सा है।”
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी सैन्य प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश की संवेदनशील छावनियों का दौरा कर रहा है। इससे पहले जनवरी 2025 में एक उच्चस्तरीय टीम ने भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) के पास रंगपुर जिले का दौरा किया था जिसमें ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक, मेजर जनरल शाहिद अमीर अफसर,मेजर जनरल आलम अमीर अवान और आईएसआई का एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी उस्मान ज़तीफ शामिल था।
फरवरी 2025 से ही पाकिस्तान सेना बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में मोमनशाही छावनी की चार छावनियों में प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चला रही है, जिसमें पाकिस्तानी अधिकारी बांग्लादेशी सैनिकों को आधुनिक युद्ध और खुफिया तकनीकों का प्रशिक्षण दे रहे हैं।”
पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी बांग्लादेश के दूरसंचार और साइबर सुरक्षा तंत्र में भी सहयोग कर रहे हैं। मोबाइल और सोशल मीडिया निगरानी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली तक, दोनों देशों के बीच तकनीकी साझेदारी बढ़ रहीं हैं ।
बांग्लादेश के BTRC (बांग्लादेश टेलीकम्युनिकेशन रेगुलेटरी कमीशन) और NTMC (नेशनल टेलीकम्युनिकेशन मॉनिटरिंग सेंटर) के अधिकारी जल्द ही हरिपुर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित NRTC (नेशनल रेडियो एंड टेलीकम्युनिकेशन कॉरपोरेशन) मुख्यालय जाकर प्रशिक्षण भी लेंगे।
ये पाकिस्तानी अधिकारी 5 जुलाई 2025 को दुबई के रास्ते वापस पाकिस्तान लौटने वाले हैं। इससे पहले वे बांग्लादेश सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे, जिनमें निदेशालय जनरल ऑफ मेडिकल सर्विसेज और सैन्य एडजुटेंट जनरल कार्यालय के अधिकारी शामिल हैं।
यह घटनाक्रम पाकिस्तान के भारत विरोधी गतिविधियों में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है।
इतिहास के पन्नों में 1971 के बर्बरता और विश्वासघात की यादें ताजा हैं, जब इसी चितगांव छावनी में पाकिस्तानी सेना ने हजारों बांग्लादेशी सैनिकों की निर्मम हत्या की थी।
पाकिस्तान अपनी खुराफात से बाज नहीं आने वाला….. अभी पिछली 29 जून को ही जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले का केरी सेक्टर (LoC के पास) में भारतीय सेना ने 2 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मारने के बाद भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद किया है जबकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ध्वस्त किये गये आतंकवादी ठिकानों को फिर से नई जगहों पर स्थापित करने की खबरें भी आ रहीं हैं।
भारत को अब दीर्घकालिक रणनीति पर काम करते हुये पाकिस्तान के 3 टुकड़े करने ही पड़ेंगे यही स्थाई शांति का एकमात्र विकल्प है।