Israel-Iran Conflict : B-2 बॉम्बर विमान अमेरिका से रवाना, ईरान पर हमले की तैयारी!

Bindash Bol

Israel-Iran Conflict : अमेरिका के मिसौरी में वाइटमैन एयर फोर्स बेस से B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स को गुआम के रणनीतिक एयरबेस पर तैनात किया है. यह तैनाती ईरान पर इजरायली हवाई हमलों के बाद पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव के बीच हुई है. शनिवार को छह अमेरिकी B-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान मिसौरी से उड़ान भरकर पश्चिमी प्रशांत महासागर स्थित माइक्रोनेशिया के अमेरिकी द्वीप गुआम के एयरबेस पर पहुंचे. अमेरिका के सबसे खतरनाक और सबसे महंगे बमवर्षक विमानों (B-2) की गुआम में तैनाती ईरान-इजरायल संघर्ष में अमेरिकी भागीदारी की संभावना को बढ़ाती है. माना जा रहा है कि अमेरिकी फौज अब ईरान पर हमले के बिल्कुल करीब है.

ईरान पर हमले की तैयारी!

ईरान की फोर्डो सुविधा जैसे भूमिगत बंकरों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम एकमात्र हथियार GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) है, जो 13.6 टन का विस्फोटक है. इसे आमतौर पर बंकर बस्टर बम कहा जाता है. यह बंकर-बस्टर 200 फीट से अधिक गहराई तक प्रवेश कर सकता है. हालांकि अभी तक इसका इस्तेमाल ऐसी साइट पर हमले के लिए नहीं किया गया है.

जमीन के नीचे 200 फीट तक मजबूत कंक्रीट को तोड़ने की क्षमताओं वाले जीबीयू-57 को केवल B-2 बॉम्बर पर ही तैनात किया जा सकता है. ऐसे में इन स्टील्थ लड़ाकू विमानों की गुआम में तैनाती से लगता है कि अमेरिका फोर्डो पर हमला कर सकता है. इस साइट के बारे में दावा है कि ईरान ने यहां सैकड़ों फीट नीचे परमाणु कार्यक्रम चला रखा है.

दुनिया का सबसे महंगा सैन्य विमान

B-2 स्पिरिट को नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन ने बनाया है. यह नियमित और परमाणु, दोनों हथियार ले जा सकता है. 6,000 समुद्री मील से अधिक की उड़ान रेंज और हवा में ईंधन भरने की क्षमता के साथ B-2 परमाणु स्थलों जैसे भारी किलेबंदी वाले लक्ष्यों को मार सकता है. यह GBU-57A/B सहित 40,000 पाउंड तक के बम ले जा सकता है. B-2 दूसरे बम, जैसे JDAMs, JSOWs और JASSMs भी ले जा सकता है, जो इसे विभिन्न प्रकार के मिशनों के लिए उपयोगी बनाता है.

यह लड़ाकू विमान अमेरिका की परमाणु रक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो 16 B83 परमाणु बमों तक ले जाने में सक्षम है. B-2 को रडार के चकमा देते हुए सीक्रेट, सुरक्षित और लचीले मिशनों के लिए खास तरह से डिजाइन किया गया है, जो इसे प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है. एक B-2 की कीमत करीब 2.1 अरब डॉलर है, जो इसे दुनिया के सबसे महंगे सैन्य विमानों में एक बनाती है.

ईरान का अभेद्य परमाणु साइट फोर्डो

सीएनएन कहता है कि पहाड़ों के एक समूह में बनी पांच सुरंगें, सपोर्ट के लिए एक बड़ा ढांचा और एक लंबा-चौड़ा सुरक्षा घेरा. हाल ही में उपग्रह से ली गई तस्वीरों से आप ईरान के रहस्यमयी फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FFEP) के बारे में बस इतना ही देख सकते हैं.

दरअसल इससे बाद की सारी चीजें पहाड़ों के गर्भ में छिपी सुरंगों में मौजूद हैं.

धार्मिक शहर क़ोम के नजदीक बना यह गुप्त, भारी सुरक्षा वाला परिसर 2009 में तब पहली बार सार्वजनिक हुआ जब 2009 में पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने इसका खुलासा किया. यह लगभग 30 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है. यह प्लांट पहाड़ों के भीतर करीब 80-90 मीटर (लगभग 300 फीट) की गहराई में बना है.

फोर्डो घाटी की तस्वीर (फोटो- विकीपीडिया)
इसकी भौगोलिक स्थिति इसे प्राकृतिक और कृत्रिम सुरक्षा प्रदान करती है, क्योंकि यह हवाई हमलों और पारंपरिक बमबारी से लगभग अभेद्य है.

सीएनएन कहता है इसके बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा इजरायली खुफिया एजेंसियों द्वारा सालों पहले चुराए गए ईरानी दस्तावेजों के भंडार से आता है.

इसका मुख्य हॉल जमीन से 80 से 90 मीटर (लगभग 262 से 295 फीट) नीचे हैं. इसकी भौगोलिक स्थिति इसे इजरायल के पास मौजूद किसी भी हवाई बम से सुरक्षित है, इस वजह से हवा से मारकर इसे ध्वस्त करना लगभग असंभव कार्य बन जाता है.

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह फोर्डो ही है जहां ईरान एनरिच यूरेनियम भंडार को परमाणु बम में बदलने की जल्दी कर सकता है. पश्चिमी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि अगर ईरान ने परमाणु हथियार बनाने का अंतिम निर्णय लिया तो फोर्डो उसका प्राथमिक केंद्र होगा. इसकी गोपनीयता और सुरक्षा ने इसे इजरायल और अमेरिका के लिए एक बड़ा खतरा बना दिया है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि फोर्डो में उन्नत सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं, जो 60% तक शुद्धता के साथ यूरेनियम संवर्धन कर सकती हैं. परमाणु हथियार के लिए यूरेनियम को 90% तक शुद्ध करने आवश्यकता होती है, फोर्डो 60 फीसदी की क्षमता हासिल कर चुका है. अगर फोर्डो प्लांट अपनी क्षमता में और बढ़ोतरी कर लेता है तो वह परमाणु बम बनाने में कामयाब हो जाएगा.

यही वजह है कि पश्चिमी देश और इजरायल-अमेरिका इसे खतरे के रूप में देखते हैं.

क्या है GBU-57

अमेरिकी रक्षा वैज्ञानिकों ने जमीन के अंदर मौजूद ऐसे गहरे बंकरों को तोड़ने के लिए बंकर बस्टर बम बनाया हुआ है. इसे मैसिव ऑर्डनेंस पेन्नट्रेटर (Massive Ordnance Penetrator) कहते हैं. अमेरिका ने अपने इस बंकर बस्टर को GBU-57 नाम दिया है.

विशेषज्ञ कहते हैं कि जीबीयू-57, अमेरिकी शस्त्रागार में सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु “बंकर-बस्टर” बम है, जिसे विशेष रूप से गहराई में दबे और भारी किलेबंद दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी बंकर-बस्टर का वजन 13,600 किलो होता है. ये बम अपने विकास के शुरुआती चरण में ही धरती को 200 फीट भेदकर टारगेट को नष्ट करता था. अब इसकी क्षमता और भी बढ़ गई है. ये बम जीपीएस से निर्देशित होता है और ठीक अपने टारगेट पर ही हमला करता है.

इस बम को ठोस स्टील मिश्र धातु से बनाया जाता हैजो विस्फोट से पहले कठोर परतों को भेदने के लिए डिजाइन किया गया होता है.

बंकर बस्टर GBU-57 को विशेष विमानों के द्वारा ही गिराया जा सकता है. अमेरिकी विशेषज्ञों के अनुसार केवल बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ही एमओपी को ले जा सकता है और तैनात कर सकता है. अमेरिका के पास 19 बी-2 विमान हैं. बी-2 विमान हवा में ईंधन भरने के साथ लंबी दूरी के मिशन में सक्षम हैं.रिपोर्ट के अनुसार अबतक वास्तविक लड़ाई में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है.

बम को कैसे तैनात किया जाता है?

GBU-57 को तैनात करने में सक्षम एकमात्र विमान US B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर है, जिसे नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन द्वारा निर्मित किया गया है. सैद्धांतिक रूप से पर्याप्त क्षमता वाला कोई भी विमान इसे पहुंचा सकता है लेकिन केवल B-2 को ही इस कार्य के लिए कॉन्फ़िगर और परीक्षण किया गया है. ईंधन भरने के बिना 7,000 मील (11,000 किमी) की सीमा के साथ और हवाई ईंधन भरने के साथ 11,500 मील (18,500 किमी) से अधिक B-2 दुनिया भर के लक्ष्यों तक पहुंच सकता है.

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