Jmm 13th Convention : झारखंड मुक्ति मोरचा (झामुमो) का 13 वां दो दिवसीय महाधिवेशन सोमवार को खेलगांव में शुरू हो गया। शुरुआत केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन ने की। महाधिवेशन में पार्टी के संविधान में बड़ा बदलाव किया गया है। अब कार्यकारी अध्यक्ष का पद खत्म किया जा रहा है। पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन संस्थापक संरक्षक होंगे। कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभाल रहे हेमंत सोरेन अध्यक्ष बन सकते हैं। मंगलवार को उनकी ताजपोशी हो सकती है।
स्वागत भाषण देते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो आंदोलन से उपजी हुई पार्टी है। झारखंड को बिहार से अलग करने के लिए झामुमो का गठन किया गया था। गुरुजी (शिबू सोरेन) के नेतृत्व में जब आंदोलन की रूपरेखा तैयार हो रही थी, तब झारखंड के विभिन्न इलाकों से लोग आंदोलन को समर्थन देने आते थे। गुरुजी के साथ कई लोगों ने अपना सब कुछ बलिदान किया।
त्याग और समर्पण के माध्यम से झारखंड को एक अलग राज्य के रूप में पहचान मिली। पर सत्ता जिनके हाथों में रही, उनका आदिवासियों और मूल निवासियों से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने सिर्फ झारखंड को लूटा। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन, उपाध्यक्ष और मुख्यमंत्री की मां रूपी सोरेन खराब स्वास्थ्य के बावजूद कार्यक्रम में पहुंचे।
महाधिवेशन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्हें सत्ता का मोह नहीं है। झारखंड और झारखंडियों की रक्षा करना उद्देश्य है। राज्य सरकार ने छह महीने में कम से कम 30 योजनाओं को धरातल पर उतारा है। विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जेपीएससी परीक्षा में 75 प्रतिशत एसटी, एससी, ओबीसी और स्थानीय छात्रों का उत्तीर्ण होना विपक्ष को चुभ रहा है, क्योंकि पहले ये आंकड़ा बाहरी छात्रों का हुआ करता था।
हेमंत सोरेन ने कहा कि कार्यकर्ता सिपाहियों की मेहनत की बदौलत हमने-अपने विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बोलने वाले दल को हराया है। राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने का आशीर्वाद हमें मिला है। सभी साथी भी महसूस कर रहे होंगे कि आज हमारे महाधिवेशन में पूर्व से बेहतर भव्यता है, इसी प्रकार हमें राज्य के लोगों के लिए भी दिन-रात काम कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है।
अधिवेशन में 16 राजनीतिक प्रस्ताव पास
अधिवेशन के दौरान वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी ने पार्टी का 16 राजनीतिक प्रस्ताव पढ़ा। जिसे पास कर दिया गया। प्रस्ताव में वक्फ संशोधन बिल का विरोध जताया गया। जातिगत जनगणना करने का प्रस्ताव रखा गया। ओबीसी के लिए 27% आरक्षण, 1932 आधारित स्थानीय नीति और परिसीमन का विरोध हुआ। महाधिवेशन में गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, विधायक बसंत सोरेन, मंत्री हफीजुल हसन समेत पार्टी के कई पदाधिकारी भाग ले रहे हैं।
झारखंड न कभी डरा, न कभी झुका
हेमंत ने कहा- झारखंड ही नहीं, पूरे देश-दुनिया के लोग दिशोम गुरुजी को आदर-सम्मान की नजरों से देखते हैं। गुरुजी जी के नेतृत्व और असंख्य क्रांतिकारियों के संघर्ष और बलिदान के बाद हमें झारखंड अलग राज्य मिला। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का जो विशाल पेड़ लगाया है और जिस पेड़ की जड़ें झारखंड के घर-घर में फैली हुई हैं, उसे सींचने का काम हमें करना है। हमारे अगुआ नेताओं के संघर्ष को सम्मान देने का काम हमें करना है।