कबीर संजय
नई दिल्ली : इस बार की छठ में इस भाई को कुछ अनवांडेट पॉपुलैरिटी मिल गई है। बहुत ज्यादा हाईलाइट हो गए हैं। जाहिर है, इसके चलते इनके आने वाले जीवन पर भारी असर पड़ने वाला है। इसलिए, इनके बारे में कुछ बातें जान लेनी जरूरी है।
इन्हें देखने के बाद सबसे पहला जो खयाल आता है वो यातायात पुलिस द्वारा सड़क के किनारे बनाई काली-पीली धारियों का ही होता है। यातायात पुलिस द्वारा ये काली-पीली धारियां इसलिए बनाई जाती है ताकि वाहन सवार उन्हें दूर से ही देख लें और अपने वाहन को उसी अनुसार नियंत्रित करें।
ये बैंडेड करैत है। भारत में पाए जाने वाले करैत परिवार के सदस्य हैं। परिवार के शायद सबसे लंबे सदस्य भी यही हैं। कॉमन करैत से इनकी लंबाई खासी ज्यादा होती है। मोटाई भी ज्यादा होती है। इसलिए इनके दिखने की संभावना ज्यादा होनी चाहिए। लेकिन, ऐसा होता नहीं। ये आमतौर पर इंसानी बस्तियों से दूर ही रहना पसंद करते हैं। मुख्य भोजन इनका भी सांप ही है। पहले ही इस पर बात हो चुकी है विष सांप के लिए अपने भोजन को हासिल करने और अपनी सुरक्षा करने का एक रासायनिक हथियार है। इसलिए जिस चीज को निगला नहीं जा सकता है, उस पर अपना विष खर्च करने से कोई फायदा नहीं।
ये भाई साब भी इंसान को काटने में यकीन नहीं करते हैं। इंसान से मुठभेड़ हो भी जाए तो किसी भी तरह से राह बदलकर वहां से निकलने में ही यकीन रखते हैं। आप लोगों ने छठ का जो वीडियो देखा है, उसमें भी बैंडेड करैत किसी तरह से वहां से बचकर निकल जाने की ही कोशिश कर रहा है। बहुत ज्यादा परेशान नहीं किया जाए, खतरा महसूस नहीं हो तो यह सांप इंसान को काटता नहीं है।
लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि उसके बहुत ज्यादा करीब जाया जाए और उसे पकड़ने की कोशिश की जाए।
सांप कोई भी दिखे, उससे बचाव का सबसे पहला तरीका तो यह है कि उससे एक सुरक्षित दूरी बना ली जाए। दूसरा तरीका यह है कि अगर आप उस पर निगाह रख सकते हैं तो यह जरूर देखें कि उसका सिर कहां पर है। क्योंकि, अक्सर ही सांप अपने सिर को इस तरह से छिपा लेते हैं कि वो दिखता नहीं है। अलग-अलग सांपों की अटैकिंग पोजीशन और चेतावनी देने की मुद्रा भी अलग-अलग होती है। इसलिए जरूरी है कि इस पर ध्यान दिया जाए। सांप अगर अटैकिंग पोजीशन में है तो वहां तुरंत सुरक्षित दूरी बना लेनी चाहिए। सांपों को रेस्क्यू करने वाले प्रोफेशनल होते हैं। उनकी मदद लेनी चाहिए। इसकी बजाय खुद से ही पकड़ने या मारने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।
और अगर दुर्भाग्य से कभी सांप काट भी ले तो बिना किसी इफ-बट के तुरंत सरकारी अस्पताल मरीज को पहुंचाया जाना चाहिए। झाड़-फूंक में तो वक्त एकदम बर्बाद नहीं करना चाहिए। दूसरा, सांप को पकड़कर अस्पताल ले जाने की भी जरूरत नहीं है। क्योंकि, हो सकता है कि पहली बार में सांप ने फाल्स बाइट की हो या कम जहर छोड़ा हो। लेकिन, उसे पकड़ने की कोशिश में वह दोबारा और जोरदार तरीके से काट सकता है।
तापमान 18 से 15 डिग्री तक नीचे आने पर सांप किसी छिपे हुए सुरक्षित जगहपर जाने का प्रयास करते हैं। कोल्ड ब्लड वाले प्राणी होने के चलते उन्हें अपने शरीर को गर्म रखने की जरूरत होती है। इसलिए वे किसी छिपी हुई गर्म जगह पर छिपकर जाड़ा काटने का प्रयास करते हैं। सर्दियों में उनकी गतिविधियां काफी कम हो जाती है। छठ पर्व पर पानी में तैरता दिखा बैडेड करैत भी ऐसा लगता है कि किसी जगह पर छिपने की तलाश कर रहा है। जहां पर वो जाड़ा काट सके। हालांकि, है यह सिर्फ अनुमान ही।
बाकी, सांप के किस्से इतने हैं कि लिखना शुरू तो खतम ही नहीं होते हैं।
(बैंडेड करैत का चित्र इंटरनेट)