Kavya Goshthi: झारखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न
Kavya Goshthi: रविवार को झारखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच की ऑनलाइन मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न हुई। पूनम वर्मा द्वारा संयोजित इस गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने की। संस्था के कोषाध्यक्ष कृष्णा विश्वकर्मा ‘बादल’ ने गोष्ठी में उपस्थित सभी कवियों-कवयित्रियों का स्वागत किया। काव्य गोष्ठी का आरंभ रेणुबाला धार द्वारा प्रस्तुत सुमधुर सरस्वती वंदना से हुआ। कवियों और कवयित्रियों ने गीत, गजल, कविता और मुक्तक से गोष्ठी को सफल बनाया। पूनम वर्मा की बाल कविता ‘समय का पहिया चलता जाय’ और कितना प्यारा था वो बचपन’, सुनीता कुमारी की कविता ‘मन मेरा सावन भादों हो गया’, गीता चौबे ‘गूँज’ का गीत ‘नव पल्लव ने थाम जड़ों को जीवन संचार किया’, रेणुबाला धार की गजल ‘मेरे गम का उन्हें एहसास नहीं’, हिमकर श्याम की गजल ‘दर्द का रिश्ता भला ढोता है क्या’, गीता सिन्हा ‘गीतांजलि’ की कविता ‘ये खुला खुला नीला आकाश और पर्वतों की भुजाएँ’, डा० अंजेश कुमार की व्यंग्य कविता ‘कहते हैं निंदक को समीप रखिये’, अर्चना श्रीवास्तव की कविता ”दिन अब ढलने वाला है’, कृष्णा विश्वकर्मा ‘बादल ‘ की चुटीली कविता ‘कुछ बातों का अर्थ निकाला जाता है’, बिनोद सिंह ‘गहरवार’ के मुक्तक ‘अपना मानकर इनको रहम कब तक दिखाओगे’, अनिता रश्मि की कविता ‘पत्थर की पूजा करते हो इंसान को भूल जाते हो’, अर्पणा सिंह की गजल ‘मेरे भारत को दुआ दीजिए’ एवं अंत में इस काव्य गोष्ठी का उम्दा संचालन कर रहे कामेश्वर सिंह ‘कामेश’ की ग़ज़ल ‘यूँ ही सब ने सुंदर महफिल सजाई है’ और पलकें हुईं भारी आंखों में खुमारी’ ने गोष्ठी को नई ऊंचाइयां प्रदान की और सृजन के कई रंग बिखेरे। मंच के कार्यकारी अध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने सभी कवि-कवयित्रयों की प्रस्तुतियों पर टिप्पणी करते हुए उनकी सराहना की तथा उन्हें साधुवाद कहा। उन्होंने श्रीकृष्ण भगवान् की उक्ति ‘मासानां मार्गशीर्षोहं’ उद्धृत करते हुए अगहन मास की महत्ता तथा हेमंत ऋतु के सौंदर्य पर सारगर्भित एवं संग्रहणीय उद्बोधन के साथ स्वरचित कविता, ‘हेमंत की संध्या’ का पाठ किया। कार्यक्रम का समापन बिनोद सिंह गहरवार के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
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