Kavya Gosthi : मोरहाबादी के कुसुम विहार स्थित शांति इन्क्लेव में गुरुवार को एक लघु काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें शहर, गाँव, प्रकृति, परिवेश, रोजमर्रा की जिंदगी एवं राजनीति सहित विभिन्न विषयों पर सशक्त रचनाएं प्रस्तुत की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता विक्रमशिला विद्यापीठ के कुलाधिपति डॉ रामजन्म मिश्र ने की। पटना के साहित्यकार डॉ भगवती प्रसाद द्विवेदी विशिष्ट अतिथि थे।
गोष्ठी का शुभारंभ ग़ज़लकार हिमकर श्याम के ग़ज़ल पाठ से हुआ। उन्होंने अपनी एक से बढ़ कर गजलें ‘नाम शोहरत गुमान लेता है’, ‘दूर रहती भी कैसे दिलबर से’, ‘रवानी गर नहीं हो तो नदी अच्छी नहीं’, ‘दुश्वारियाँ हैं थोड़ी सफर ठीक ठाक है’ सुनाई। साथ ही दो भोजपुरी ग़ज़ल ‘महंगा अब इतबार भइल बा’, ‘तहार दौलत तहार ताकत हमार का बा’ भी पढ़ी।
हिन्दी और भोजपुरी के वरिष्ठ कवि डॉ भगवती प्रसाद द्विवेदी ने ‘परी कथा सी स्वर्ण जड़ित दिन रातें रजतमयी’, ‘कहाँ खो गया अपना गांव’ गीत और एक भोजपुरी ग़ज़ल ‘चाह बहुत बा राहे नइखे’ प्रस्तुत करके मन मोह लिया।
वरिष्ठ कवि निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने ‘मैं शब्द हूँ’ और ‘खांडव वन’ कविता पाठ किया। जिसे ख़ूब सराहा गया। उन्होंने टीएस इलियट की कुछ कविताओं का हिन्दी अनुवाद भी सुनाया।
कवि चन्द्रिका ठाकुर देशदीप ने गीत ‘चला गया है शहर के हाथों’, ‘प्यार की मीठी भाषा हुआ चलन से दूर अब’ और एक ग़ज़ल तरन्नुम में पेश किया। उन्होंने एक अंगिका गीत भी सुना कर वाहवाही लूटी। इसके बाद गोष्ठी के अध्यक्ष डॉ रामजन्म मिश्र ने साहित्कारों से जुड़े कुछ रोचक संस्मरण सुनाये। गोष्ठी में सरोज श्रीवास्तव, मधुकर श्याम, रविकर श्याम, संजय कुमार वर्मा, डॉ इरा, शक्ति आदि उपस्थित थे। अंत में निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।