mahadev : पंचइयां, नाग और बाबा भोलेनाथ

Bindash Bol

सुनील श्रीवास्तव

mahadev : ‘सरले सावन भरले भांदों ‘.सावन बीता और भादों झट से टपक पडा .दूनों महिन्ना एक दूसरे से तनिको कम नहीं .सावन में पंचइयां था .उस दिन नाग को दूध पिलाया जाता है .वह शंकर भगवान् के गले में लिपटा रहता है ,शंकर हमारे बहुत नीक देवता थे .बेचारे जो चीजें आदमी का जान ले सकती हैं ,सब को भगवान शंकर ने अपना बनाया .बताओ भला जहर पी लिया .अरे बाप रे ! नटई के नीचे नहीं जाने दिया .नहीं तो ऊ भी परान तियाग देते . फंसे रहो नटई में चुप मार के . पूरे ब्रह्मांड में ऐसा देवता नहीं मिलेगा . गंगा जी आईं तो अपने जटा में रोक लिया . जमीन पर हाहाकार मचाने की इजाजत नहीं मिलेगा . बाँध लिए अपनी जटा में ,देखें कैसे बहती हैं .लोग लगे गिड़गिड़ाने ‘ महराज गंगा नहीं बहेगी तो पानी कैसे मिलेगा? खेत खलिहान सब सूना हो जाएगा .आदमी सब पियासन मर जाएगा .खेती- बारी कैसे होगी नाथ ! अन्न का एक दाना मिलना मोहाल हो जाएगा।


सही बताते हैं ,बहुत हाथ गोड़ जोरे लोग .शंकर भगवान् सोचे कि जिस मनुष्य को ज़िंदा रखने के लिए जहर पीया, वही मरने लगेगा, तो अनर्थ हो जाएगा .कृपा निधान ने एक धार गंगा का छोड़ा तो जल ग्रहण किया पृथ्वी लोक के लोंगो ने .एक काँटा गोड़ में घुस जाय तो एक डगर चलना दुसुवार . महादेव ने कहा डरो मत .देखो हम तीन शूल फंसाए हैं अपनी जटा में .काँटा नहीं रहेगा, तो दुःख के बारे में नहीं जान पाओगे .एक बार धंस गया, तो संभल कर चलोगे .सबको बताओगे कि कांटे में दुःख है तो सभी बच कर चलेंगे .भगवान् ने कहा कि जहर नटई के नीचे गया नहीं कि परान राम भागे देह छोड़ कर .बचो जहर माहुर से.
एक बार की बात बता हूँ कि एक सांप बेचारा पृथ्वी पर बड़े कायदे क़ानून से रह रहा था .आदमी की जात देखता था तो रास्ता बदल देता था .झुत्ठो किसी से क्यों उलझे .आदमी अपनी रास्ते ,हम अपने रास्ते .लेकिन ई आदमी की जात उंगली करने में बहुत माहिर है . सांप बेचारा कहीं खाना खुराकी के लिए जाता ,तो जब देख लेते तो लगते डंडा से मारने . सांप था शंकर जी का भक्त .कुछ नहीं बोलता था .सही बोलता हूँ एक चुप कि हजार चुप .लोग मारते और ऊ बेचारा बर्दास्त कर लेता .मार खाते – खाते ऊब गया . आखिर जीव तो वह भी था .परान भला किसको प्यारा नहीं होता है . ऊब कर गया भगवान् भोले के पास .बोला बाबा पृथ्वी के लोग बहुत परेशान करते हैं .हैरानी की बात तो ई है बाबा कि हम काटते भी नहीं और लोग देखते ही मारने लगते हैं .
देखो बाबा यह नहीं कहते कि सांप तुम काट लिया करो, बल्कि समझाते हैं कि आदमी सबसे कमजोर और डरपोक होता हैं उसे अपने मृत्यु का डर हमेशा सताता रहता है ,इसलिए वह तुमको पीटते हैं .यह सुनकर सांप बेचारा समझ नहीं पाया .उसने बाबा भोलेनाथ से पूछा कि बाबा फिर मै क्या करूं? काट लिया करूं?
नहीं- नहीं ऐसा मत करना .ऐसा करोगे तो आदमी की पूरी जाती ख़त्म हो जायेगी .ई जो आदमी जात है न ,वह बहुत मतलबी होता है ।अपनी जान बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है .आदमी ,आदमीं की जान ले लेता है ,लेकिन उसको बुद्धि नहीं है . हम जान बचाते हैं .किसी का धर्म जान लेना नहीं, बचाना है .जैसे तुम्हारी छबि खराब है .वैसे ही आदमी की छबि भी खराब- अच्छी होती है .सबसे बड़ी बात छबि बनाना है .मै अभी नाग को बुला कर कहता हूँ कि छबि बनाओ .
“ तो नाग देवता आये .? “


काहे नहीं आयेंगे ? भोले नाथ का आदेश कौन टाल सकता हैं ? नाग आये .उनको बाबा भोलेनाथ ने समझाया कि अपने चेला लोगों से कह दो कि हमने काटने के लिए मना किया है ,फुफकारने के लिए नहीं .आदमी फुफकारने से ही अपनी औकात में आ जाएगा . जब पृथ्वी लोक के लोग अनेत करने लगें, तो काट लेना .लेकिन एक बात का ख्याल रखना यह काम जिन्दगी लेने के लिए नहीं, अपने को बचाने के लिए करना ,और एक बात का ध्यान रहे ,ज़हर आदमी के अन्दर न जाय, नहीं तो मर जाएगा . अब देखो यहाँ समझने वाली बात है कि लोग अपने आस्तीन में भी सांप रखने लगे हैं ,लेकिन सांप ने कभी काटा नहीं, बल्कि आदमी ही ओछी हरकत करने लगा . डर बहुर बड़ी चीज होती है .
एक बात बताऊँ कि गंगा जी जब बनारस पहुँचीं तो लगीं उफान मारने . जनता जनार्दन परेशान कि कैसे क्या होगा . जान बचाना मुश्किल . भोले नाथ से भला कहाँ तक छिपता . अन्तर्यामी हैं वह .भोले बाबा ने ऊपर से देखा कि बनारस के जीव जंतु सब परेशान हैं । जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहे हैं ,तो शंकर भगवान् आये और नाग तो गले में था ही, उसका फन निकलवाये और पूरी काशी को फन पर उठा लिया . बमारस के जीव जंतु सब बच गए , तब से बनारस में छोटे गुरु और बड़े गुरु सभी पूजे जाने लगे .उनकी फोटो किवाड़ी पर चिपकाने लगे कि हे नाग बाबा अपने बाल बच्चा से हम सबके बाल बच्चा को बचाइएगा .बाबा का पराक्रम देखो कि आजतक अपने फन पर बनारस को उठाये हुए हैं और का मजाल कि किसी को कुछ हो जाय .और नहीं तो थक हार कर परधान मंत्री को भी बाबा के शरण में आना पडा .लेकिन ई बात भी है कि अगर परधान मंत्री कुछ अपनी ऐंठ दिखायेंगे तो ई बनारस है ,बाबा की नगरी ,यहाँ से उनको सरकाने में देर नहीं कगेगा .कहे थे कि माँ गंगा ने बुलाया है .गंगा माँ को पृथ्वी पर उतारा किसने ? तुम लोग सोचो कि जब मां निर्मल मन हैं ,तभी तो बुलाईं ..परयाग में देखो बाबा ने कहा कि बजरंगी को हर साल स्नान करा देना . गंगा मैया हर साल बजरंगी को जरूर नहलाती हैं . सब भोले की कृपा है .
अब पूछो कि सावन में ही क्यों बाबा की पूजा होती है ? तो हम कहेंगे कि नादान हो सब ।बाबा की दोहाई तो हमेशा देते हैं ,लेकिन सावन में पानी खूब बरसता है ,तो बाबा के चेला लोग ज़मीन से बाहर आते हैं . बाबा पहाड़ थामें हैं और बाबा का चेला नाग, पाताल संभाले है .जब नाग बाबा पृथ्वी पर आते हैं, तो सब नाग देवता से कहते हैं कि देवता महाराज आप दूध पीजिये ,लावा खाइए और हम लोग तनिक मौसम का लुत्फ़ उठा लें .देखो पंचइयाँ से ही तीज -त्योहार शुरू होता है ।ख्याल करो अंग्रेज ससुर भी सावन में ही भागे . सब भोले बाबा की कृपा है।
अब नाग देवता की पूजा पुजहाई हो गयी .सारे तीज त्योहार मजे से मनाओ ।कोई बिघ्न बाधा नहीं आयेगी . जय बाबा भोले नाथ की

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