Mahakumbh 2025 : 41 साल से मौन, चाय पर हैं जिंदा! जानें ‘चाय वाले बाबा’ का रहस्य

Siddarth Saurabh

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज कुंभ मेला क्षेत्र में आपको कई मौनी बाबा मिल जाएंगे जो कोई संकल्प उठा कर कुछ समय के लिए मौन व्रत धारण किए हुए हैं। लेकिन इस कुंभ में एक ऐसे बाबा भी मौजूद हैं जो आजीवन के लिए मौन हो गए हैं यानी उन्होंने पूरे जीवन के लिए मौन व्रत उठा लिया है। इन मौनी महाराज को कुछ लोग चाय वाले बाबा भी कहते है।

महाकुंभ 2025 में शामिल होने के लिए पहुंचे ‘चाय वाले बाबा’ चर्चाओं में हैं। उन्होंने 41 साल से मौन व्रत धारण किया हुआ है। बाबा रोजाना सिर्फ 10 कप चाय पीते हैं। बाइक चलाने के शौकीन इन बाबा की रफ्तार 100 किमी/घंटा से कम नहीं होती है।

महाकुंभ 2025 के लिए साधु संतों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। इस दौरान कई ऐसे साधु संत भी वहां पहुंच रहे हैं जिनके कारनामें हैरान करने वाले हैं। एक ऐसे ही बाबा से एशियानेट न्यूज हिंदी ने बातचीत की जो 41 सालों से मौन रखे हुए हैं। खास बात है कि बाबा अपने भक्तों को चाय पिलाकर प्रसाद देते हैं। इन्हें सभी लोग प्यार से ‘चाय वाले बाबा’ के नाम से भी जानते हैं। इतना ही नहीं बाबा की एक और खास बात है कि उन्हें बाइक राइडिंग का शौक है और उनकी बाइक की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटे से कम नहीं होती। चाय वाले बाबा का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है। वह प्रतापगढ़ के चिलबिला स्थित शिवशक्ति बजरंग धाम से आए हैं। बाबा ने 41 साल पहले मौन व्रत धारण किया और अन्न-जल का त्याग कर दिया। वह दिनभर में केवल 10 कप चाय पर जीवित रहते हैं। उनकी यह साधना भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय है।

शिक्षकों के परिवार से हैं

मौनी महाराज शिक्षकों के परिवार से हैं। उन्होंने बायोलॉजी में बीएससी किया है। उनके पिता प्राचार्य थे जिनकी मृत्यु के बाद उन्हें शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति भी मिली थी लेकिन अब तक बाबा के हृदय में ईश्वर भक्ति की अलख जल चुकी थी, धीरे धीरे उनका सांसारिकता से मोहभंग हो गया और उन्होंने संन्यास ले लिया। बाबा के लिए धर्म और आध्यात्म सेवा के लिए है। बाबा की बड़ी खूबी ये भी है कि वो सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को फ्री कोचिंग भी देते हैं।

अब आप सोचेंगे कि मौन रहने वाले बाबा कोचिंग कैसे देते हैं। तो वे बताते हैं कि वो व्हाट्सएप के जरिए छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं और उनके लिए नोट्स भी बनाते हैं और उन्हें उपलब्ध कराते हैं। मौनी महाराज बताते हैं हर साल उनके 2 से 3 स्टूडेंट्स सिविल सेवाओं में चयनित हो जाते हैं।

एक ग्रंथ भी लिख चुके हैं

मौनी महाराज बताते हैं कि मौन रहने से ऊर्जा का संचय होता है और उनकी ऊर्जा विश्व कल्याण के काम आती है। मौनी महाराज ने एक ग्रंथ भी लिखा है जिसका नाम ‘धर्म कर्म मर्म सागर’ है। ग्रंथ में जन्म से मृत्यु तक, सोने से जागने तक प्रत्येक कार्य के शास्त्र सम्मत नियम हैं। मौनी महाराज की पुस्तक प्रकाशित होने के लिए गई है जो फरवरी तक प्रकाशित हो जाएगी।

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