Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में पेड़ वाले बाहुबली बाबा!

Siddarth Saurabh

Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। इस भव्य और दिव्य महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और संत-महात्मा शामिल हो रहे हैं। इन्हीं में से एक विशेष पहचान वाले संत हैं बाबा राम बाहुबली दास महाराज, जो न केवल एक आध्यात्मिक साधक हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मिशन पर हैं। लोग इन्हें पेड़ो वाले बाबा भी कहते हैं।

साइकिल से यात्रा और करते हैं पर्यावरण संरक्षण की बात

बकौल बाबा राम बाहुबली दास महाराज, उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड से की। पिछले 22 वर्षों से साइकिल पर यात्रा करते हुए बाबा अब तक 200 से अधिक जिलों में भ्रमण कर चुके हैं। उनकी यात्रा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि धरती मां के प्रति प्रेम और पर्यावरण की रक्षा का एक महायज्ञ है। बाबा ने बताया कि जब वह पढ़ाई कर रहे थे, तो उनकी मां का देहावसान हो गया। कुछ दिन बाद पिता भी दुनिया छोड़ गए। मां बाप के जाने के बाद से ही बाबा का मन वैराग्य की तरफ मुड़ गया। वह करीब आठ वर्षों तक अघोर साधना की। उसके बाद इस ओर मुड़े। उनका कहना है कि अरुणाचल में गायों की दुर्दशा देखकर वह इतने विचलित हो गए कि उन्होंने सन्यास ही अपना लिया।

बाबा के उद्देश्य है निराले

बाबा का मुख्य उद्देश्य त्रिवेणी पौधरोपण (पीपल, बरगद और पाकड़ के पेड़ों का रोपण) को बढ़ावा देना है। उनका मानना है कि ये पेड़ न केवल पर्यावरण को स्वच्छ और शुद्ध बनाते हैं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का भी स्रोत हैं। बाबा हर स्थान पर पौधा लगाकर उसका यज्ञोपवीत संस्कार करते हैं और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी स्थानीय लोगों को सौंपते हैं।

18 वर्षों से नंगे पैर चलने का संकल्प

बाबा राम बाहुबली दास पिछले 18 वर्षों से नंगे पैर चल रहे हैं। यह संकल्प उन्होंने धरती मां को सम्मान और छोटे जीव-जंतुओं की रक्षा के लिए लिया है। उनका कहना है कि नंगे पैर चलना उन्हें प्रकृति के साथ एक गहरा जुड़ाव महसूस कराता है।

एक सामान्य युवा से पर्यावरण योद्धा बनने का सफर

बाबा राम बाहुबली दास का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ। वह मास कम्युनिकेशन में स्नातक हैं और एक समय पर कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के विशेषज्ञ थे। उनके माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने अपनी दुनिया को छोड़कर भारत की यात्रा शुरू की। यात्रा के दौरान उन्होंने गायों के कटान और पर्यावरण में हो रहे विनाश को देखा, जिसने उन्हें गहराई से झकझोर दिया। इस अनुभव ने उन्हें पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने की प्रेरणा दी।

महाकुंभ में बाबा का संदेश

महाकुंभ-2025 में बाबा राम बाहुबली दास महाराज ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना है कि हर व्यक्ति को कम से कम पांच पेड़ जरूर लगाने चाहिए। बाबा के अनुसार, “पेड़-पौधे लगाना किसी यज्ञ से कम नहीं है। यह हमारे भविष्य और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य उपहार है।

जंतर-मंतर से महाकुंभ तक का संघर्षपूर्ण सफर

बाबा ने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया। वह 2007 और 2013 में जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन के दौरान पर्यावरण के मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं। उन्होंने लाठियां भी खाईं लेकिन अपने उद्देश्य से पीछे नहीं हटे। उनका कहना है कि सनातन का युवा भागता नहीं है, बल्कि अपने कर्तव्यों को होशपूर्वक निभाता है।

धर्म और पर्यावरण का संगम
बाबा का कोई स्थायी आश्रम नहीं है। वह अपनी साइकिल और अपने संकल्प को ही अपना घर मानते हैं। बाबा की सादगी, संकल्प और सेवा भावना महाकुंभ के श्रद्धालुओं और संतों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

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