Mauni Amavasya 2025 : मौनी अमावस्या क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व क्या है

Sushmita Mukherjee

Mauni Amavasya 2025 : हिंदू पंचांग अनुसार माघ कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी, कुंड या जलाशय में स्नान करना बेहद फलदायी होता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जो लोग भी माघ अमावस्या पर अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म करते हैं, उनके पितरों की आत्माएं तृप्त होकर उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। चलिए आपको बताते हैं मौनी अमावस्या कब है और इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

मौनी अमावस्या कब

मौनी अमावस्या इस साल 29 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 35 मिनट पर होगा और इसका समापन 29 जनवरी की शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा।

मौनी अमावस्या 2025 अमृत स्नान मुहूर्त

  • पहला मुहूर्त- 07:20 AM से 08:44 AM
  • दूसरा मुहूर्त- 08:44 AM से 10:07 AM
  • तीसरा मुहूर्त- 11:30 AM से 12:53 PM
  • चौथा मुहूर्त- 05:02 PM से 06:25 PM

मौनी अमावस्या 2025 स्नान मंत्र

त्रिवेणीं माधवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम् । वन्देऽक्षयवटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम् ।। अगर मौनी अमावस्या पर आप नहाते समय इस मंत्र को बोलते हैं तो आप त्रिवेणी संगम में स्नान करने का फल घर बैठे प्राप्त कर लेंगे।

मौनी अमावस्या पर स्नान करने की विधि

जो लोग 29 जनवरी 2025 को यानी मौनी अमावस्या के दिन कुम्भ नहीं जा पा रहे हैं वो लोग घर पर ही स्नान पात्र में थोड़ा गंगाजल डालकर और फिर उसमें दूसरा जल मिलाकर मां गंगा, यमुना व सरस्वती का नाम लेकर और साथ ही ॐ नमो भगवते वासुदेवायः महामंत्र का मानसिक जप करते हुए स्नान करें। ऐसा करने से उन्हें वही फल प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या पर दान का महत्व

मौनी अमावस्या पर दान करना बेहद श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही दान करने वाले व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में भी दान सबेस बड़ा पुण्य का काम बताया गया है। अगर पितृ दोष से पीड़ित हैं तो इस दिन तिल, तेल और वस्त्रों का दान अवश्य करें।

मौनी अमावस्या पर किन चीजों का दान सबसे शुभ होता है?

मौनी अमावस्या पर भोजन, धन, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग इत्यादि चीजों का दान शुभ माना जाता है।

मौनी अमावस्या उपाय

मौनी अमावस्या के दिन घर के मुख्य द्वार पर जल में हल्दी मिलाकर छींटे लगाएं और साथ ही, घर की चौखट की साफ-सफाई करें। इस उपाय को करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण क्यों जरूरी

कहते हैं मौनी अमावस्या के दिन जो कोई पितरों का तर्पण नहीं करता है उसके पितृ उससे नाराज हो जाते हैं। जिससे सुख-सुविधाओं में कमी होने लगती है।

मौनी अमावस्या पर स्नान का महत्व

धार्मिक मान्यताओं अनुसार मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान अथवा त्रिवेणी संगम स्नान कर महादेव की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही पितृ दोष, कालसर्प दोष और राहु-केतु की पीड़ा से भी छुटकारा मिलता है।

मौनी अमावस्या पर किसकी पूजा करें

मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं इस दिन जो सच्चे मन से ईश्वर की अराधना करता है उसके सारे सपने पूरे हो जाते हैं।

मौनी अमावस्या पर क्या ना करें

मौनी अमावस्या के दिन तामसिक भोजन न करें। किसी के लिए अपशब्द न कहें। किसी भी तरह के गलत कार्यों को करने से बचें।

मौनी अमावस्या पर क्या-क्या करना चाहिए?

मौनी अमावस्या पर सुबह नदी स्नान करना चाहिए। इसके बाद ईश्वर की अराधना करें। फिर जरूरतमंदों को भोजन कराएं। संभव हो तो इस दिन मौन व्रत भी रहें।

मौनी अमावस्या पर मौन व्रत कब से कब तक रखें

आचार्य पंडित सनत कुमार द्विवेदी महाराज के अनुसार मौनी अमावस्या पर मौन व्रत स्नान करने तक भी रखा जा सकता है और यदि आप चाहें तो किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए पूरे दिन भी मौन व्रत धारण कर सकते हैं। अगर दिन भर मौन व्रत रह रहे हैं तो सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक मौन व्रत रहें। व्रत का समापन शाम के समय में भगवान विष्णु या शिव जी के पूजन और आरती के बाद करें।

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टि से विशेष मायने रखती है। कहते हैं इस अमावस्या पर मौन व्रत रखने और गंगा नदी में स्नान करने से बहुत पुण्य मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, इस अमावस्या पर ऋषि मनु का जन्म हुआ था इसलिए ही इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाने लगा। इसके अलावा इस अमावस्या को लेकर ये भी कहा जाता है कि जो मनुष्य इस दिन मौन व्रत रखता है उसे अपने जीवन में वाक् सिद्धि प्राप्त होती है। धर्मग्रंथों अनुसार इस अमावस्या तिथि पर स्नान, जप और तप करने से मनुष्य को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। ये दिन पितृ शांति के लिए भी अच्छा माना जाता है। अगर मौनी अमावस्या के ज्योतिषीय महत्व की बात करें तो जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में एक साथ उपस्थित होते हैं तो उस दौरान मौनी अमावस्या मनाई जाती है। राशि चक्र में मकर दसवीं राशि होती है और कुंडली के दसवें भाव में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है इसलिए ही मौनी अमावस्या के दिन किए गए दान-पुण्य से बाकी दिनों में किए गए दान से कई गुना ज्यादा लाभ की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या पर घर बैठे पाएं त्रिवेणी संगम में स्नान करने का पुण्यफल

जो लोग कुम्भ नहीं जा पा रहे हैं 29 को वह गंगा जल को स्नान पात्र में डालकर फिर जल मिलाकर गंगा, यमुना व सरस्वती का नाम लेकर व ॐ नमो भगवते वासुदेवायः महामंत्र का मानसिक जप करते हुए स्नान करते हैं,उनको वही फल प्राप्त होता है। मंत्र की ध्वनि किसी भी कीमत पर बाहर न निकले, वह पूर्णतया मानसिक जप हो। ऐसी स्थिति में मन से वह व्यक्ति संगम व ईश्वर के प्रति समर्पित रहता है। संगम स्नान करने जो लोग गए हैं या आप भी जाएं तो वहां से उस दिन का संगम जल अवश्य लाएं।

मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम में स्नान का क्या है महत्व

ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्‍य रूप से संगम में स्‍नान करते हैं। वहीं मौनी अमावस्‍या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्‍नान करने आते हैं और इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन मौन रखकर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

मौनी अमावस्या पर क्या करना चाहिए

  • मौनी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान जरूर करना चाहिए।
  • इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है।
  • स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य जरूर अर्पित करना चाहिए।
  • जहां तक संभव हो इस दिन मौन व्रत रहना चाहिए।
  • इसके अलावा गरीब, भूखे और ज़रूरतमंद लोगों को भोजन कराकर दान देना चाहिए।
  • ये दिन पितरों के तर्पण के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
  • मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु और शिव शंकर जी की पूजा का विशेष महत्व होता है।
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