Meaning of Freedom : आजादी का मतलब पराधीन करना या अराजक होना नहीं

Bindash Bol

उमानाथ लाल दास
Meaning of Freedom : प्रेम, विवाह, विच्छेद निजी मामले हैं।‌ और इसमें भूमिका तय करना भी निहायत निजी हक बनता है। यह तो सर्वोपरि है। पर इससे भी इनकार नहीं कर सकते कि जब व्यक्ति किसी कोने में नहीं, बड़े मंच पर हो, तब भी ? महात्मा गांधी ने आत्मकथा लिखी और नाम दिया सत्य के प्रयोग। यह अलग बात है कि ढेरों सत् का गोपन कर दिया गया है। मैं उसमें नहीं जा रहा। महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा 1920 तक लाकर छोड़ दी। तर्क यह था कि इसके बाद का उनका जीवन व्यक्तिगत नहीं रहा। सबकुछ सार्वजनिक है। यानी सार्वजनिक को अपना कहना एक हठ है, क्योंकि यह सबके लिए एक जैसा नहीं। सार्वजनिक को निजी कहने से उसके कापीराइट जैसी ही सामूहिकता-सामाजिकता का हनन और तिरोहण-विलोपन होता है। तो पब्लिक डोमेन में होने का आनंद लेते हुए, पब्लिक की कीमत पर मुकाम तय किये जाएं तो ऐसे में उस पब्लिक के प्राइवेट पार्ट (गुप्तांग नहीं) पर बोलना कहीं से गैरवाजिब नहीं ,,, नर-मादा से कहीं आगे बढ़ चुके हमारे जीवन के लिए 16 साल कम नहीं होता है चित्रा जी। इतने में तो बच्चा जवान मान लिया जाता है।‌ और संबंध की तो पूछें मत ,,, सोलह शृंगार (सौंदर्य प्रसाधन), सोलह कला (चंद्रमा), सोलह आना (परिपूर्णता) ,,,

और निजता, पारिवारिकता का एक-एक पल अनमोल, अनिर्वचनीय, अतुल होता है ,,, उसे ऐसे ही जाया नहीं होने देना चाहिए ,,, बार-बार और हर बार पुनर्विचार का विकल्प बचा रहता है ,,, गार्गी, मैत्रेयी भी विदूषी थीं। उन्हें भी अस्मिता और आजादी का मतलब पता होगा। यह माना जाना चाहिए। आजादी का मतलब यदि किसी को पराधीन करना नहीं, तो आजादी का मतलब अराजकता की मस्ती भी नहीं। यह तो जनतंत्र के विवेक के सम्मान बोध है। यह बोध हर पल रहे तो आजादी बचती भी है और सम्मानित भी रहती है। यही है जीवन का सुख ,,, चित्रा जी या अन्य, इसे अन्यथा न लें। बस आपका प्रसंग और चित्र वायरल है ,,, अन्यथा यह प्रसंग तो प्रश्नाकुलता से भरा है ही ,,,

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