रेहान
Mohammed Siraj : मियां सीरीज इस खेल के,उन गिने चुने खिलाड़ियों में से एक है जो एक ही वक्त में खिलाड़ी और फैन दोनों होते है। और किसी भी फील्ड में इस तरह का इमोशन दो धारी तलवार की तरह होता है, जो कभी आपको वजन देता है, तो कभी आप उसके वजन तले दब जाते है। सीधी भाषा में प्रोफेशनल क्रिकेट दिल से नहीं दिमाग से ही खेला जा सकता है। अपने गुस्से पर, अपनी झुंझलाहट, और अपनी बेबसी सब कुछ किनारे रख कर ये समझना होता है कि खेल की डिमांड क्या है, सिचुएशन आपसे क्या मांग रही है। जज्बाती खिलाड़ी ये काम करने में या तो बहुत माहिर हो जाते है, या फिर कच्चे रह जाते है। माहिर खिलाड़ियों को दुनिया सलाम करती है, नाम लेती है, मिसाल देती है। पर जो कच्चे रह जाते है, उन्हें ड्रामेबाज, या फिर ओवर इमोशनल,अन्प्रोफेशनल माना जाता है। सिराज को लेकर कुछ दिन पहले एक एक्सपर्ट ने कहा भी था कि कुछ भी हो सिराज पूरे दिल से गेंदबाजी करता है, उसके जवाब में दूसरे एक्सपर्ट ने कहा था कि टीम को दिल नहीं, विकेट की जरूरत है। और उस दूसरे एक्सपर्ट ने कुछ भी गलत नहीं कहा था, ये स्टेटमेंट एक चुनौती थी मियां सिराज के लिए,और आज भाई ने उस चुनौती को सर माथे लेकर ये साबित किया है कि दिल के अलावा वो टीम को विकेट भी दे सकता है। क्रिकेट में आलोचना का यही काम होता है, आलोचना चुनौती होती है,जब तक खेल के दायरे में हो,अब सिराज के लिए अगली चुनौती इस मोमेंटम मेंटेन करने की है, क्यूंकि क्रिकेट की दुनिया को एक जज्बाती गेंदबाज की बहुत सख्त जरूरत है,और देर सबेर ही सही, सिराज भाई ये जरूरत पूरी करके मानेंगे।
Mohammed Siraj : कुछ भी करना, लेकिन मियां भाई की डेयरिंग पर कभी संदेह मत करना….

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