New Year 2025 celebration : दिन एक, फिर दुनिया में अलग-अलग समय पर क्यों मनाया जाता है नया साल?

Bindash Bol

New Year 2025 celebration : हर साल 31 दिसंबर की रात को जैसे ही घड़ी में 12 बजते हैं, दुनिया भर में नए साल का स्वागत होने लगता है. हालांकि, दुनिया के हर कोने में यह जश्न एक साथ नहीं होता. अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर नए साल का आगाज होता है. नए साल का जश्न में पूरी दुनिया बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.

क्या आपने सोचा है कि जब भारत में रात के 12 बजे नया साल शुरू होता है, तो कुछ देशों में यह पहले ही मनाया जा चुका होता है और कुछ जगहों पर अभी बाकी होता है. ऐसा क्यों होता है? इसका कारण है टाइम जोन. अब सवाल खड़ा होता है ये टाइम जोन कौन सी बला है. इस खबर में हम आपको इसी बला से रूबरू कराएंगे. इससे पहले थोड़ा पृथ्वी के घूमने का चक्कर भी समझ लेते हैं.

कितने टाइमजोन में बंटी है दुनिया

पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, जिससे दिन और रात होते हैं. इसका आकार इतना बड़ा है कि एक ही समय पर किसी स्थान पर दिन होता है तो किसी स्थान पर रात. बस, यही कारण है कि दुनिया में अलग-अलग टाइम जोन हैं. इस दुनिया को 24 टाइम जोन में बांटा गया है.

ग्रीनविच, इंग्लैंड को शून्य डिग्री अक्षांश (Prime Meridian) के रूप में टाइम जोन का आधार चुना गया. इससे पूर्व दिशा में समय बढ़ता है और पश्चिम दिशा में घटता है. यही कारण है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में दिन और रात अलग-अलग समय पर होते हैं.

टाइम जोन हमारे लिए जरूरी भी है. क्योंकि टाइम जोन न केवल हमारे रोज के जीवन को संतुलित रखते हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार, यात्रा और संचार को भी सुचारु बनाते हैं. यह व्यवस्था हमारी दुनिया को एक डोर के समय संरचना में बांधती है.

टाइम जोन किसने बनाया?

कनाडा रेलवे के इंजीनियर सर सैंफर्ड फ्लेमिंग ने टाइम जोन की अवधारणा पेश की. उन्होंने पृथ्वी को 24 हिस्सों में बांटने और प्रत्येक हिस्से को 15 डिग्री अक्षांश के बराबर रखने का सुझाव दिया. इसके लिए हर हिस्से में एक घंटे का अंतर रखा गया.

साल 1884 में इंटरनेशनल प्राइम मेरिडियन कॉन्फ्रेंस के दौरान यह तय किया गया कि ग्रीनविच, इंग्लैंड को शून्य डिग्री पर रखा जाएगा. ग्रीनविच मेरिडियन से पूर्व की ओर बढ़ने पर समय बढ़ता है, जबकि पश्चिम की ओर समय घटता है.

भारत में थे तीन अलग-अलग टाइम जोन

भारत में टाइम जोन का निर्धारण साल 1884 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ. उस समय भारत में तीन अलग-अलग टाइम जोन बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास थे. साल 1905 में मिर्जापुर (82°33′ E) को भारत के मानक समय क्षेत्र के रूप में चुना गया. इसे 1947 में भारतीय मानक समय घोषित किया गया.

सबसे पहले इस देश ने मनाया नया साल

नए साल का सबसे पहले स्वागत किरीटीमाटी द्वीप (क्रिसमस द्वीप) में होता है, जो कि किरिबाती रिपब्लिक का हिस्सा है. यह स्थान भारत से 7.30 घंटे आगे है. जब भारत में रात के 3.30 बजते हैं, तो वहां आधी रात हो चुकी होती है.

इसके बाद न्यूजीलैंड, टोंगा, चैथम द्वीप और अन्य देशों में नए साल का जश्न मनाया जाता है. वहीं, सबसे आखिरी में दक्षिण प्रशांत के अमेरिकी समोआ और नीयू द्वीप में नया साल मनाया जाता है.

टाइम जोन के कारण आप एक देश में पुराने साल में रहकर दूसरे देश में नए साल में पहुंच सकते हैं. कई लोग इस आकर्षण को देखते हुए नए साल का स्वागत दो बार करते हैं. इनमे ऑस्ट्रेलिया शामिल है.

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