Nitish Kumar : नीतीश का ‘सत्ता पथ’!

Bindash Bol

Nitish Kumar : नीतीश कुमार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं। पटना के गांधी मैदान में आयोजित समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे।
राष्ट्रगान के साथ गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का आदेश पढ़ा। बिहार के राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 164 (1) के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। इसके साथ, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सलाह से मंत्रिमंडल के सदस्यों की नियुक्ति की है।
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर चार दशकों का है। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1985 में जनता दल से हुई थी, जब उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। शुरुआती वर्षों में उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर काम किया। जब 1989 में लालू प्रसाद विपक्ष के नेता बने थे, लेकिन धीरे-धीरे मनमुटाव के कारण नीतीश कुमार और उनकी साझेदारी टूट गई।
1994 में, नीतीश ने लालू प्रसाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण विद्रोह में भाग लिया, जिसमें 14 सांसदों ने जॉर्ज फर्नांडीस के नेतृत्व में दल-बदल कर जनता दल (जॉर्ज) बनाई, जो बाद में समता पार्टी में तब्दील हो गई। यह नीतीश कुमार के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ था, क्योंकि उन्होंने लालू से अलग होकर अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया।
1996 में उन्होंने भाजपा से हाथ मिलाया, जो उनके लिए एक लंबा और अक्सर उथल-पुथल भरा गठबंधन साबित हुआ। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेलवे मंत्री रहे, जहां उन्होंने कई सुधारों की शुरुआत की थी और अच्छा प्रदर्शन किया था।
नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनने का पहला दौर 2000 में हुआ था, लेकिन गठबंधन में संख्याबल की कमी के कारण उनकी सरकार सात दिन के भीतर गिर गई। 2005 में उनकी शानदार वापसी हुई, जब उन्होंने लालू प्रसाद यादव के 15 साल के शासन को समाप्त किया और बिहार में ‘नए दौर’ की शुरुआत की। नीतीश कुमार ने लगभग एक दशक तक बिना किसी गंभीर राजनीतिक चुनौती के शासन किया।
2013 में भाजपा से रिश्ते टूटने के बाद नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के खिलाफ विरोध जताया। यह कदम राजनीतिक अस्थिरता का कारण बना और जनता दल (यूनाइटेड) की स्थिति कमजोर हुई।
2015 में, नीतीश ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन का गठन किया और भाजपा को हराकर सत्ता में लौटे। हालांकि, यह साझेदारी भी ज्यादा दिन नहीं चली और 2017 में नीतीश कुमार ने गठबंधन छोड़ दिया और फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गए।
2022 में भाजपा पर जनता दल (यूनाइटेड) को तोड़ने का आरोप लगाते हुए नीतीश ने एनडीए से बाहर निकलकर महागठबंधन में वापसी की, लेकिन यह अध्याय भी सिर्फ दो साल चला। अब 2024 के आम चुनावों से ठीक पहले नीतीश कुमार ने फिर से एनडीए में वापसी की।
एनडीए के साथ नीतीश कुमार का साथ फिलहाल बरकरार है और इसी का नतीजा है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने दूसरी बार 200 से अधिक का आंकड़ा पार किया। 2010 में एनडीए को 206 सीटें मिली थीं और इस बार भाजपा-जदयू वाले गठबंधन ने 202 सीटों पर जीत हासिल की है।

पिछले 25 वर्षों में नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उनके साथ मंत्रिपरिषद के 26 सदस्यों ने भी शपथ ली है।

शपथ लेने वाले मंत्रियों की सूची (पार्टी के साथ):

  • नीतीश कुमार (जदयू) – मुख्यमंत्री
  • सम्राट चौधरी (भाजपा) – उप-मुख्यमंत्री
  • विजय कुमार सिन्हा (भाजपा) – उप-मुख्यमंत्री
  • विजय कुमार चौधरी (जेडीयू)
  • बिजेन्द्र प्रसाद यादव (जेडीयू)
  • श्रवण कुमार (जेडीयू)
  • मंगल पाण्डेय (भाजपा)
  • डॉ० दिलीप कुमार जायसवाल (भाजपा)
  • अशोक चौधरी (जदयू)
  • लेशी सिंह (जदयू)
  • मदन सहनी (जदयू)
  • नितिन नवीन (भाजपा)
  • राम कृपाल यादव (भाजपा)
  • संतोष कुमार सुमन (हम)
  • सुनील कुमार (जदयू)
  • मो० जमा खान (जदयू)
  • सुरेन्द्र मेहता (भाजपा)
  • नारायण प्रसाद (भाजपा)
  • रमा निषाद (भाजपा)
  • लखेन्द्र कुमार रौशन (भाजपा)
  • श्रेयसी सिंह (भाजपा)
  • डॉ० प्रमोद कुमार (भाजपा)
  • संजय कुमार पासवान (लोजपा-रा)
  • संजय कुमार सिंह (लोजपा-रा)
  • दीपक प्रकाश (रालोमो)

राजपूत, दलित से परिवारवाद तक…

करीब 36 मिनट तक चले इस शपथ समारोह में दो तस्वीरें काफी खास थीं, पहली तस्वीर पीएम मोदी के गमछा लहराने की थी, गांधी मैदान में उन्होंने गमछा लहराकर लोगों का अभिवादन किया। दूसरी तस्वीर कई मंत्रियों के एक साथ शपथ लेने की थी, जिसमें मंत्रियों की आवाज गूंज रही थी, साफ-साफ कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। ऐसा क्यों हुआ कि एक साथ ही इतने मंत्रियों को शपथ दिलाई गई? ये जानने से पहले मंत्रिमंडल के जाति समीकरण को समझ लेते हैं।

बिहार सरकार में आज मुख्यमंत्री समेत 27 मंत्रियों ने शपथ ली। इसमें सामान्य वर्ग के 8 मंत्री हैं, जिसमें राजपूत- 4 , भूमिहार– 2, ब्राह्मण- 1, कायस्थ-1 है। पिछड़ी जातियों से 9 मंत्री हैं। इनमें कुशवाहा– 3, कुर्मी– 2, वैश्य- 2 और यादव -2 हैं। अति पिछड़ी जातियों के 3 मंत्री बने हैं। इनमें मल्लाह- 2 और ईबीसी– 1 है। 5 दलितों को भी मंत्री बनाया गया है। जबकि मुस्लिम मंत्रियों की संख्या 1 है।

नीतीश कैबिनेट का जाति समीकरण

कुल मिलाकर कहा जा सकता है, नीतीश कैबिनेट में जाति समीकरण का भी खूब ख्याल रखा गया है। राजपूत और दलित समुदाय से सबसे ज्यादा कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इसके बाद भूमिहार और कुशवाहा को कैबिनेट में तरजीह दी गई है। नीतीश कुमार की सरकार में यादव समीकरण को भी साधा गया है। 14 प्रतिशत आबादी वाले यादव समुदाय के 2 मंत्री बनाए गए हैं। जेडीयू कोटे से एक अल्पसंख्यक मंत्री भी बनाए गए हैं।

जातीय समीकरण से अलग पीएम मोदी के गमछा लहराने वाली तस्वीर भी काफी चर्चा में है। दरअसल, इस बार पीएम मोदी ने बिहार में गमछा लहराकर लोगों के अभिवादन करने का ट्रेंड शुरू कर दिया है। चुनाव के दौरान भी वो अपनी रैलियों में गमछा लहराकर लोगों का अभिवादन करते थे। आज जब वो शपथ ग्रहण समारोह के लिए बिहार पहुंचे तो यहां भी उन्होंने गमछा लहराकर लोगों का अभिवादन किया और उनका अभिवादन स्वीकार भी किया।

कई मंत्रियों ने एक साथ ली शपथ

एक और तस्वीर जिसकी काफी चर्चा रही, वो है कई मंत्रियों के एक साथ शपथ लेने की। आम तौर पर ये देखा जाता है कि एक मंत्री एक बार में शपथ लेते हैं, राज्यपाल उनकी भाषा, उनके द्वारा इस्तेमाल शब्दों पर काफी ध्यान देते हैं कि वो शब्दों का गलत उच्चारण ना करें, जिससे शपथ का मतलब ही बदल जाए। यानी शपथ दिलाने वाले का काम सिर्फ शपथ पढ़वाना नहीं है। बल्कि ये सुनिश्चित करना भी है कि शपथ अपने भाव और गंभीरता के साथ ली जा रही है या नहीं।

2015 में जब तेज प्रताप यादव ने गलत शपथ पत्र पढ़ा तो तब के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने उन्हें दोबारा सही से पढ़वाया था। यानी ये काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन आज जब शपथ हो रही थी, तो इसमें एक साथ कई मंत्री शपथ ले रहे थे, किसी की आवाज स्पष्ट नहीं थी। संभव है कि गलतियां भी हुई होंगी लेकिन समूह की आवाज़ में दब गई होंगी। वैसे इस दौर में ये देखा गया है कि जब भी मंत्रिमंडल बड़ा होता है और वक्त कम, तो इसी तरह सामूहिक शपथ की व्यवस्था की जाती है।

बिना चुनाव लड़े मंत्री बना उपेंद्र का बेटा

इन दोनों वीडियो के अलावा बिहार में RLM के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की भी काफी चर्चा हैं। वो खुद राज्यसभा से सांसद हैं, उनकी पत्नी विधायक बनी हैं और बेटा आज बिना चुनाव लड़े ही नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बन गया। यानी पूरा परिवार जनसेवा के कठिन काम में लगा हुआ है। इसी तरह से बिहार में जीतनराम मांझी का भी परिवार है, जो खुद केंद्र में मंत्री हैं, इनके बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री बने हैं। जीतनराम मांझी की बहू दीपा कुमारी, समधन ज्योति देवी और दामाद प्रफुल्ल मांझी तीनों विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं, लेकिन नीतीश कुमार ने मंत्री सिर्फ संतोष सुमन को ही बनाया।

वैसे राजनीति के परिवारवाद में थोड़ा और गहराई तक जाएं तो विपक्ष डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के पिता और पूर्व सांसद शकुनी चौधरी का नाम लेकर उन्हें भी घेरता है। पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह को भी परिवारवाद से जोड़ा जाता है। और तो और JDU के अशोक चौधरी जो खुद मंत्री हैं, उनकी बेटी LJP से सांसद हैं इन्हें परिवारवाद का ही स्वरूप कहा जाता है।

वैसे एक तस्वीर आज नीतीश कुमार के बेटे निशांत की भी थी, जो राजनीति से कई ‘प्रकाशवर्ष‘ दूर हैं। आज जब उनके पिता 10वीं बार सीएम पद की शपथ ले रहे थे तो वो दर्शक दीर्घा में बैठे थे।

Share This Article
Leave a Comment