Operation Sindoor :इन एडवांस वेपन सिस्टम से तबाह हो रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी कैंप

Sushmita Mukherjee
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Operation Sindoor : पाकिस्तान की सीमा में अपने अचूक मिसाइल हमले से भारतीय सेना आतंकी अड्डों को तबाह कर रही है। हमले के लिए सेना की तरफ से एडवांस प्रिसिजन स्ट्राइक वेपन सिस्टम का प्रयोग किया जा रहा है। खास बात है कि आसपास बिना नुकसान किए ये सिस्टम बहुत ही सटीक तरीके से लक्ष्य को भेदने में सफल होते हैं। आपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायु सेना फाइटर जेट से स्कैल्प और हैमर जैसी मिसाइलें बरसा रही है तो तो घातक किस्म के इजरायली हारोप ड्रोन से आतंकियों के अड्डों को उड़ाया जा रहा है।

स्कैल्प मिसाइल : नौ आतंकी अड्डों को हिट करने के लिए स्कैल्प/ स्टार्म शैडो मिसाइलों को राफेल फाइटर जेट से लांच किया गया, ये 500 किमी. से अधिक दूरी तक मार करने वाली घातक मिसाइलें हैं। ये पाकिस्तान के एचक्यू-9 और एलवाई 80 (एचक्यू-16) एअर डिफेंस सिस्टम को बायपास करते हुए आतंकी अड्डों को हिट करने में सफल रहीं। स्कैल्प पर लगी स्टील्थ कोटिंग और इसकी कम ऊंचाई पर उड़ान भरने में क्षमता के कारण राडार सिस्टम द्वारा इसका पता लगाना आसान नहीं होता है। लगभग 1300 किग्रा वाले स्काल्प से बंकर और मजबूत ढांचों को भी ढहाया जा सकता है।

हैमर मिसाइल : हैमर के प्रयोग से भारतीय सेना के पास यह क्षमता आ जाती है कि वह सटीक लक्ष्य के साथ गतिमान लक्ष्य को भी भेदा जा सकता है। हैमर यानी हाइली एजाइल मोड्यूलर म्यूनिशन एक्टेंडेड रेंज एक एअर-टू- ग्राउंड और प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल सिस्टम है, जिसे एक फ्रेंच डिफेंस कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। इसका प्रयोग मध्यम दूरी के लक्ष्य को बेहद सटीक ढंग से भेदने के लिए किया जाता है। इसमें जीपीएस, इन्फ्रारेड इमेजिंग या लेजर टारगेटिंग जैसे अलग-अलग तरह के गाइडेंस सिस्टम द्वारा लैस किया जा सकता है। यही कारण है कि इसका प्रयोग किलेबंद ढांचों और गतिमान लक्ष्य को भेदने के लिए भी किया जा सकता है।

हार्पी ड्रोन : इस ड्रोन काे इजराइल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने तैयार किया है। यह पूरी तरह से अनमैन्ड एयरियल व्हीकल है। हार्पी ड्रोन 9 घंटे तक उड़ान भरने की क्षमता रखता है। इसकी ऑपरेशनल रेंज 200 किलोमीटर है। नतीजा, सेना को बिना किसी खतरे की चिंता किए बिना दुश्मन को तबाह करने में मदद मिलती है।

हार्पी ड्रोन अपने टार्गेट की खोज, पहचान और ट्रैकिंग करने का काम ऑटोमेटिक तरीके से करता है। यह दो-तरफ़ा डेटा लिंक से जुड़ा होता है। नतीजा, इसे ऑपरेट करने शख्स को रियल टाइम में सटीक निर्णय लेने में मदद मिलती है। युद्ध क्षेत्र के हालात बदलने पर ऑपरेटर हमले को रोक सकता है। ड्रोन को वापस बुलाया जा सकता है।

यह ड्रोन क्यों कितना ताकतवर है, अब इसे समझ लेते हैं। इसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल, इंफ्रारेड और फॉरवर्ड लुकिंग इंफ्रारेड सेंसर लगाए गए हैं। इसके अलावा कलर सीसीडी कैमरा और एंटी रडार होमिंग खूबियां इसे टार्गेट को खोजने और उसे कंफर्म करने में मदद करती हैं।

हार्पी ड्रोन 23 किलोग्राम तक विस्फोटक भार ले जा सकता है। इसे एक सीलबंद कैनिस्टर से लॉन्च किया जाता है, जिससे इसकी तैनाती करना आसान होता है। खास बात है कि इसकी निगरानी करना आसान है। हमले की स्थिति में इसे सर्विलांस मोड से अटैक मोड में लाने में भी मुश्किल नहीं होती।

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