- पाकिस्तान का सामने आया काला सच, जो उड़ा देगा अमेरिका और ब्रिटेन की नींद
Pakistan Backing Terror Groups: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत में आक्रोश तो पाकिस्तान में तनाव काफी है. इस दरमियान पाकिस्तान की पोल एक बार फिर दुनिया के सामने खुल गई है. इस हमले में 26 लोगों की मौत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को झकझोर दिया है. इस हमले के बाद पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में जो कबूलनामा किया, वो न सिर्फ पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करता है, बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों पर भी बड़े सवाल खड़े करता है.
ब्रिटेन के एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कई बड़े खुलासे किए. मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने दशकों तक आतंकवाद को समर्थन, ट्रेनिंग और फंडिंग दी है. उन्होंने इसे अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए किया गया ‘डर्टी वर्क’ बताया. आसिफ ने कहा कि हमने अमेरिका और ब्रिटेने जैसे देशों के लिए तीन दशकों तक ये काम किया और इसकी कीमत आज भी पाकिस्तान चुका रहा है.
1980 से शुरू हुई आतंक की खेती
आसिफ ने बताया कि 1980 के दशक में जब अमेरिका और पश्चिमी देश अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे, तब पाकिस्तान ने इन ताकतों के इशारे पर आतंकी संगठनों को पालना शुरू किया. साथ ही आसिफ ने यह भी कहा कि ये वही आतंकी हैं, जिन्हें कभी वाशिंगटन और लंदन में ‘वाइन एंड डाइन’ किया गया. आसिफ ने कहा कि 9/11 के बाद एक बार फिर पाकिस्तान को इन ताकतों के लिए मोहरा बनाया गया, जिसका नतीजा अब भुगतना पड़ रहा है.
आसिफ ने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान ने इन युद्धों में खुद को शामिल नहीं किया होता, तो आज उसका रिकॉर्ड साफ-सुथरा होता. लेकिन अब उसे आतंकवाद का समर्थक बताया जाता है, और यह सब उस समय की गलतियों का नतीजा है. इस कबूलनामे से पाकिस्तान का असली चेहरा दुनिया के सामने आ गया है. अब साफ है कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद की नर्सरी चला रहा था. हालांकि रक्षा मंत्री के मुताबिक इस नर्सरी में खाद-पानी की व्यवस्था कई पश्चिमी ताकतें कर रही थीं.
लश्कर-ए-तैयबा पर दी ये सफाई
जब ख्वाजा आसिफ से लश्कर-ए-तैयबा और इसके सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि लश्कर अब पाकिस्तान में मौजूद नहीं है. लेकिन ये सफाई उनके खुद के बयानों से मेल नहीं खाती. क्योंकि TRF ने ही पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है, और यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही प्रॉक्सी माना जाता है.
आसिफ ने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान को भारत के जवाबी हमले का डर है. उन्होंने कहा कि अगर भारत कोई बड़ा हमला करता है तो पाकिस्तान भी ‘मापतौल कर’ जवाब देगा. लेकिन ये भी माना कि अगर भारत का हमला बड़ा होता है तो इससे सीधा युद्ध छिड़ सकता है. इस बयान से साफ है कि पाकिस्तान को अपनी कमजोरी का अहसास है और उसे डर है कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा.
अमेरिका और ब्रिटेन पर किया खुलासा
आसिफ के इस बयान ने अमेरिका और ब्रिटेन की उस नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को दशकों तक हथियार, फंड और प्रशिक्षण दिया. आज वही आतंकवादी भारत में हमला कर रहे हैं और दुनिया को खतरे में डाल रहे हैं. इससे साफ है कि आतंक के इस कारोबार में पाकिस्तान अकेला नहीं है, बल्कि पश्चिमी ताकतें भी हिस्सेदार रही हैं.
आसिफ ने यह भी कहा कि यह बहुत आसान है कि बड़ी ताकतें इस क्षेत्र में किसी भी घटना का दोष पाकिस्तान पर मढ़ दें. लेकिन सच यह है कि पाकिस्तान ही वह जमीन है जहां आतंकवाद पनपता रहा है. ये वही देश है जिसने ओसामा बिन लादेन को सालों तक पनाह दी थी और अब भी आतंकियों को शह देता रहा है.
जैसे-जैसे पहलगाम हमले की जांच आगे बढ़ेगी, दुनिया को यह और स्पष्ट होगा कि पाकिस्तान आतंकवाद का पनाहगाह क्यों बना हुआ है. ख्वाजा आसिफ का ये कबूलनामा पाकिस्तान की नीयत और नीति दोनों को बेनकाब करता है. अब भारत समेत पूरी दुनिया को एकजुट होकर इस दोहरे खेल के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है, ताकि आगे कोई और पहलगाम न हो.