- रूस है समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला साझेदार’: भारत ने ट्रंप को दिया करारा जवाब
PM Narendra Modi : भारत और अमेरिका के बीच ‘टैरिफ वॉर’ गहराता जा रहा है। पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच ट्रेड डील करने की कोशिश हो रही है, लेकिन अभी तक इसमें कामयाबी नहीं मिली है। भारत और अमेरिका के बीच कुछ शर्तों पर अभी तक सहमति नहीं बनी है। इसी दरमियान
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है। इसके अलावा उन्होंने रूस से हथियार और कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत के खिलाफ जुर्माना लगाने की घोषणा की है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस मसले पर बातचीत की मंशा भी जाहिर की है। इन सबके बीच एक बड़ी खबर आई है। भारत ने अमेरिका से F-35 फाइटर जेट खरीदने से इनकार कर दिया है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने अमेरिका को बता दिया है कि वह F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान खरीदने का इच्छुक नहीं है। साथ ही भारत ने ये भी साफ किया है कि निकट भविष्य में अमेरिका से कोई बड़ी रक्षा खरीददारी की संभावना नहीं है।
दरअसल ट्रंप की इस घोषणा के बाद उन्हें ऐसा लगा होगा कि शायद अब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें फोन करेंगे और उनकी शर्तों पर ट्रेड डील को राज़ी हो जाएंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। भारत सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है उनके लिए देश का हित सर्वोपरि है। जब भारत की तरफ से ट्रंप को वो प्रतिक्रिया नहीं मिली जिसकी वह उम्मीद कर रहे थे, तो उनके सुर बदल गए और उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच अभी भी बातचीत जारी है। इसी महीने अमेरिका की ट्रेड टीम भी भारत आएगी। इस बीच ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड इकोनॉमी; तक कह दिया है। ऐसे में अब पीएम मोदी ने भी बिना कुछ कहे ‘पलटवार’ किया है।
भारत का F-35 फाइटर जेट्स खरीदने से इनकार
अमेरिका से गहराते ‘टैरिफ वॉर’ के बीच भारत ने अमेरिका से F-35 फाइटर जेट्स खरीदने से इनकार कर दिया है। भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील के तहत भारत के इन ‘मेड इन अमेरिका’ फाइटर जेट्स को खरीदने का भी ज़िक्र हुआ था, लेकिन अब भारत ने ऐसा करने से मना कर दिया है। पीएम मोदी के इस मास्टरस्ट्रोक से ट्रंप भी हैरान हैं, क्योंकि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि भारत, अमेरिका से F-35 फाइटर जेट्स खरीदने से इनकार करेगा।
महंगे होने के साथ ही कम भरोसेमंद?
अमेरिका के F-35 फाइटर जेट्स महंगे होने के साथ ही कम भरोसेमंद भी हैं। एक विमान की लागत में करीब 100 मिलियन डॉलर्स की लागत लगती है। वहीं अगर भरोसे की बात करें, तो जब से ये फाइटर जेट्स सर्विस में आए हैं, अमेरिका में तकनीकी खराबी की वजह से इनके क्रैश होने के 15 मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में भारत को अब अमेरिका के F-35 फाइटर जेट्स पर भरोसा नहीं है।
अमेरिका क्यों चाहता है भारत को F-35 बेचना?
अमेरिका काफी समय से भारत को F-35 फाइटर जेट्स बेचना चाहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि अमेरिका चाहता है कि डिफेंस सेक्टर में भारत की रूस पर निर्भरता कम हो। भारत और रूस लंबे समय से डिफेंस सेक्टर में पार्टनर्स हैं और भारत रूस से काफी हथियार खरीदता है। अमेरिका चाहता है कि भारत, रूस की बजाय उससे ज़्यादा हथियार खरीदे। इसके अलावा अमेरिका अपने डिफेंस सेक्टर को और बढ़ाने के साथ ही अपनी अर्थव्यवस्था को भी और मज़बूत करना चाहता है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में काफी गिरावट देखने को मिली है और कई एक्सपर्ट्स तो मान रहे हैं कि अमेरिका पर मंदी का खतरा भी मंडरा रहा है।
तो दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम किससे क्या खरीदेंगे, यह भारत खुद तय करता है। इसमें कोई बाहरी दखल मान्य नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-रूस संबंधों को लेकर की गई टिप्पणी के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (1 अगस्त 2025) को स्पष्ट किया कि भारत अपने द्विपक्षीय रिश्ते पूरी तरह अपनी रणनीतिक जरूरतों और हितों के आधार पर तय करता है, न कि किसी तीसरे देश के दबाव या नजरिए से। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, भारत-रूस संबंध एक स्थिर और समय की कसौटी पर खरा उतरने वाली साझेदारी हैं। ये संबंध भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का प्रतीक हैं और इन्हें किसी तीसरे देश की नजर से नहीं देखा जा सकता।
