QR बना हथियार: भारत का UPI केवल एक पेमेंट ऐप नहीं बल्कि आर्थिक शक्ति, वित्तीय कूटनीति और डिजिटल सॉफ्ट पावर का नया औज़ार बन चुका है। IMF और ACI की रिपोर्टों के अनुसार UPI आज दुनिया का सबसे बड़ा रियल‑टाइम पेमेंट सिस्टम है और वैश्विक तात्कालिक लेनदेन का लगभग आधा हिस्सा अकेले भारत संभाल रहा है।
UPI ने कैश पर निर्भरता घटाई: UPI ने कैश पर निर्भरता घटाकर औपचारिक अर्थव्यवस्था का दायरा तेज़ी से बढ़ाया है, जिससे टैक्स बेस पारदर्शिता और राजस्व संग्रह दोनों मजबूत हुए हैं।

UPI की सबसे बड़ी ताकत उसका डिज़ाइन और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा होना है जहाँ यह आधार मोबाइल और बैंकिंग सिस्टम के साथ मिलकर एक ओपन, इंटरऑपरेबल और लो‑कॉस्ट प्लेटफॉर्म बनाता है। यह मॉडल किसी एक प्राइवेट कंपनी या क्लोज्ड नेटवर्क का नहीं बल्कि पब्लिक डिजिटल गुड की तरह काम करता है, जिसे दर्जनों बैंक और कई ऐप समान स्तर पर उपयोग कर सकते हैं।
छोटे -छोटे व्यापारियों के लिये भी पेमेंट आसान : छोटे व्यापारियों, स्ट्रीट वेंडर्स और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शून्य‑या बहुत कम लागत वाले डिजिटल पेमेंट ने ट्रांज़ैक्शन कॉस्ट घटाई, क्रेडिट हिस्ट्री बनाई और उन्हें औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ दिया। जिससे न केवल उनकी आय के रिकॉर्ड औपचारिक सिस्टम में आए हैं बल्कि भविष्य में लोन, बीमा और अन्य फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स तक उनकी पहुंच भी बढ़ने लगी है।
साल 2023-25 में सैंकड़ो करोड़ के ट्रांज़ैक्शन*
2023–25 के बीच सैकड़ों करोड़ रियल‑टाइम ट्रांज़ैक्शनों के साथ UPI की स्केल ने फिनटेक इनोवेशन, डेटा‑ड्रिवन लेंडिंग और नई वित्तीय सेवाओं के लिए प्लेटफ़ॉर्म तैयार किया जो उत्पादकता और GDP पर सकारात्मक असर डाल रहा है।
इंटरऑपरेबिलिटी, लो‑कॉस्ट और स्मार्टफ़ोन‑आधारित एक्सेस के कारण लाखों पहले से अनबैंक्ड या अंडरबैंक्ड लोग अब औपचारिक डिजिटल वित्त तक पहुँच बना पाए हैं।
कई देशों के साथ पेमेंट इंटरफेस साझा कर रहा है भारत
भारत अब कई देशों के साथ UPI‑स्टाइल सिस्टम डिजिटल पहचान और पेमेंट इंटरफेस साझा करने के लिए समझौतों पर काम कर रहा है, ताकि ग्लोबल साउथ के देशों को महंगे कार्ड‑नेटवर्क और परंपरागत पेमेंट गेटवे पर निर्भर न रहना पड़े।
यह सहयोग सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है क्योंकि इससे भारत एक ऐसे देश के रूप में उभर रहा है जो पश्चिमी कंपनियों द्वारा नियंत्रित वैश्विक पेमेंट आर्किटेक्चर के समानांतर एक सस्ता, समावेशी और संप्रभु विकल्प पेश कर रहा है। आगे चलकर यही नेटवर्क क्रॉस‑बॉर्डर रिटेल पेमेंट, रेमिटेंस और संभवतः ट्रेड सेटलमेंट तक फैले तो डॉलर‑केंद्रित और हाई‑फीस पेमेंट सिस्टम पर निर्भरता कम करने की संभावनाएं भी बन सकती हैं, जो वित्तीय मल्टीपोलैरिटी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

UPI‑स्टाइल रियल‑टाइम रिटेल पेमेंट इन्फ़्रास्ट्रक्चर जैसे जैसे अन्य देशों में भारतीय सहयोग से फैल रहा है, तो रुपये‑निर्धारित या मल्टी‑करेंसी लो‑कॉस्ट पेमेंट नेटवर्क भी उभर रहा है, जो अंततः डॉलर‑केंद्रित हाई‑फ़ीस पेमेंट चैनलों के समानांतर एक वैकल्पिक इकोसिस्टम बनायेगा।
भारत के लिए यह स्टैंडर्ड एक्सपोर्ट भी है तकनीक रेगुलेटरी डिजाइन और ऑपरेशनल नॉलेज का निर्यात जो न सिर्फ सॉफ्ट पावर बढ़ाता है, बल्कि भारतीय फिनटेक कंसल्टिंग और आईटी सेक्टर को आर्थिक लाभ भी दे रहा है।
इस पूरी संरचना से भारत को घरेलू और वैश्विक दोनों मोर्चों पर लाभ मिल रहा है। घरेलू मोर्चे पर सरकार सब्सिडी, पेंशन, स्कॉलरशिप और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफ़र, पब्लिक सर्विस पेमेंट और ई-कॉमर्स में UPI के इंटीग्रेशन ने लाभार्थियों के खातों तक मिनटों में पहुंचा पा रही है, जिससे लीकेज कम हुए हैं और वेलफेयर डिलीवरी अधिक कुशल बनी है।
व्यवसायों के लिए कैश हैंडल करने की लागत, जोखिम और समय घटा है, जबकि ग्राहक के लिए पेमेंट करना लगभग फ्री और फ्रिक्शनलेस अनुभव बन गया है।
वैश्विक मंचों पर भारत G20 जैसे प्लेटफॉर्म पर इस मॉडल को स्केल‑योग्य, रेप्लिकेटेबल और ओपन समाधान के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जिससे भारत खुद को न सिर्फ एक उभरती अर्थव्यवस्था, बल्कि डिजिटल नॉर्म‑सेटर और टेक्नोलॉजी पार्टनर के रूप में स्थापित कर पा रहा है।
