Shimla Agreement 1972: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद बुधवार को पीएम आवास पर सीसीएस की बैठक हुई, जिसमें भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ सख्त फैसले लिए गए। वहीं गुरुवार को पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक हुई। इस बैठक में कई फैसले लिए गए। हालांकि इस दौरान पाकिस्तान ने शिमला समझौते 1972 को भी स्थगित करने की चेतावनी दी।
क्या है शिमला समझौता
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुआ एक द्विपक्षीय समझौता था। इस समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए। यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद के परिणामों को संबोधित करने के लिए किया गया।
समझौते का क्या था उद्देश्य
इस समझौते का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य बनाना तथा तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के बिना शांतिपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से विवादों को सुलझाने की दिशा तय करना था।
LoC का करेंगे सम्मान
जम्मू-कश्मीर में 1971 युद्ध के बाद स्थापित नियंत्रण रेखा को मान्यता दी गई और इसका सम्मान करने का वादा किया गया। इस समझौते में दोनों देशों ने अपने सभी विवादों को, विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे, को शांतिपूर्ण ढंग से और द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल करने पर सहमति जताई। इस समझौते ने कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने से रोका।
दोनों देशों ने लिया यह संकल्प
दोनों देशों ने एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, बल प्रयोग से बचने और दक्षिण एशिया में शांति बनाए रखने का संकल्प लिया। इस समझौते में युद्धबंदियों की रिहाई और कब्जे वाले क्षेत्रों की वापसी पर सहमति हुई।
शिमला समझौते का मुख्य उद्देश्य युद्ध के बाद उत्पन्न मुद्दों जैसे युद्धबंदियों की वापसी, कब्जा किए गए क्षेत्रों के आदान-प्रदान और कश्मीर विवाद को संबोधित करना है।