Shubhanshu Shukla : शुभांशु की उड़ान देश के लिए ऐतिहासिक क्यों? भारत को क्या मिलेगा

Bindash Bol

Shubhanshu Shukla : ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं, जो ऐक्सिओम मिशन-4 के तहत 25 जून 2025 में ISS जाएंगे. वह 14 दिन तक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, योग करेंगे और भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे. यह मिशन गगनयान की तैयारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है.

एक्सिओम-4 मिशन: शुभांशु शुक्ला की भूमिका

एक्सिओम-4 एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जिसे नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स मिलकर कर रहे हैं. इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं…

  • कमांडर: पेगी व्हिटसन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री, अमेरिका)
  • पायलट: शुभांशु शुक्ला (भारतीय वायुसेना पायलट, इसरो)
  • मिशन विशेषज्ञ: स्लावोश उज्नांस्की-विश्निव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कपु (हंगरी)

यह मिशन 14 दिनों का है, जिसमें 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें 7 प्रयोग भारत के हैं. शुभांशु शुक्ला भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे, जो ISS पर पहुंचेंगे. भारत ने इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा को दर्शाता है.

7 भारतीय प्रयोग: क्या हैं ये?

शुभांशु शुक्ला ISS पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अन्य भारतीय संस्थानों द्वारा डिज़ाइन किए गए सात प्रयोग करेंगे. ये प्रयोग माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) में जैविक, कृषि और मानव अनुकूलन से जुड़े हैं. ये प्रयोग भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और पृथ्वी पर अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण हैं.

  • मांसपेशियों की हानि का अध्ययन (इंस्टीट्यूट ऑफ स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन)

अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के कारण अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. यह प्रयोग मांसपेशियों के नुकसान के कारणों और उपचार की रणनीतियों को समझने के लिए है. इसका उपयोग मंगल मिशनों और पृथ्वी पर मांसपेशी रोगों के इलाज में हो सकता है.

  • फसलों का विकास (केरल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी)

छह प्रकार के फसलों के बीज अंतरिक्ष में ले जाए जाएंगे, ताकि उनके विकास और जीन में बदलाव का अध्ययन किया जा सके. यह भविष्य में अंतरिक्ष में खेती के लिए उपयोगी होगा.

  • बीज अंकुरण (यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज, धारवाड़ और IIT धारवाड़)

यह प्रयोग बीजों के अंकुरण और पोषण में बदलाव का अध्ययन करेगा. अंतरिक्ष से लौटने के बाद इन बीजों को कई पीढ़ियों तक उगाकर जीन और पोषण का विश्लेषण किया जाएगा.

  • माइक्रो-जंतुओं की सहनशक्ति (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस)

टार्डिग्रेड्स (वॉटर बियर्स) नामक छोटे जीवों का अध्ययन होगा, जो अत्यधिक तापमान, विकिरण और अंतरिक्ष के वैक्यूम में जीवित रह सकते हैं. यह प्रयोग अंतरिक्ष में जीवों की सहनशक्ति को समझने में मदद करेगा.

  • स्क्रीन का संज्ञानात्मक प्रभाव (इसरो)

यह अध्ययन अंतरिक्ष में कंप्यूटर स्क्रीन के उपयोग से आंखों की गति, फोकस और मानसिक तनाव पर प्रभाव को देखेगा. यह गहरे अंतरिक्ष मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों की मानसिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करेगा.

  • माइक्रोएल्गी का विकास (इसरो)

तीन प्रकार के माइक्रोएल्गी का अध्ययन होगा, जो भोजन, ईंधन और जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं. यह प्रयोग अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण है.

  • साइनोबैक्टीरिया का अध्ययन (इसरो)

दो प्रकार के साइनोबैक्टीरिया के सेलुलर और बायोकेमिकल व्यवहार का माइक्रोग्रैविटी में अध्ययन होगा. यह भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में ऑक्सीजन और भोजन उत्पादन के लिए उपयोगी हो सकता है.

मिशन में दिख रही भविष्य की राह

शुभांशु शुक्ला इस मिशन पर भारत और खुद के लिए दो रिकॉर्ड बनाएंगे. पहला कि वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नागरिक बनेंगे. दूसरा कि वो राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले केवल दूसरे भारतीय नागरिक होंगे. 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाना वाला है. यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जिसके बारे में भारत को उम्मीद है कि यह इंसानों को अपने दम पर अंतरिक्ष में भेजने के उसके भविष्य के प्लान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.

शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन को लेकर पहले ही कहा है, “मुझे सच में विश्वास है कि भले ही, एक व्यक्ति के रूप में, मैं अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा हूं, लेकिन यह 1.4 अरब लोगों की यात्रा है.” उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि “मेरे देश में एक पूरी पीढ़ी की जिज्ञासा जागृत होगी”, और “इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा जो भविष्य में हमारे लिए ऐसे कई प्रोजेक्ट को संभव बनाएगा”.

भारत की स्पेस एजेंसी शुभांशु के स्पेस मिशन को अपनी महत्वाकांक्षाओं में एक “डिफायनिंग चैप्टर” (बहुत अहम मोड़) कहती है. ISRO के अनुसार शुभांशु शुक्ला ही भारत के अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के लिए “शीर्ष दावेदारों में” से हैं. इस मिशन को 2027 में लॉन्च करने की तैयारी है. भारत के अंतरिक्ष विभाग के अनुसार शुभांशु की यात्रा सिर्फ एक उड़ान से कहीं अधिक है. यह एक संकेत है कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण (एक्सप्लोरेशन) के एक नए युग में साहसपूर्वक कदम रख रहा है.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नई दिल्ली ने मिशन के लिए $60 मिलियन से अधिक का भुगतान किया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर भारत द्वारा इंसानों को भेजने की योजना की घोषणा की है. ISRO ने मई में कहा था कि उसने 2027 की शुरुआत में अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान से पहले, इस साल के अंत में बिना मानव के एक कक्षीय मिशन लॉन्च करने की योजना बनाई है.

भारत के अंतरिक्ष विभाग ने कहा है कि, “शुभांशु शुक्ला के मिशन को जो बात अलग बनाती है, वह इसका रणनीतिक महत्व है.” बेंगलुरु में ISRO के केंद्र में आगे की ट्रेनिंग से पहले, शुक्ला ने 2020 में तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों के साथ रूस में यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में भी ट्रेनिंग ली थी. उन्होंने कहा है कि Axiom मिशन 4 की यात्रा और फिर ISS पर अपेक्षित 14 दिन गुजारने से बेशकीमती सीख मिलेगी जिसका भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन में बहुत सहायता मिलेगी.

Share This Article
Leave a Comment