Shubhanshu Shukla : कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

Vinay Kumar
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Shubhanshu Shukla : वायुसेना के ग्रुप कैप्टन व भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज यानी बुधवार को इतिहास रचने के लिए रवाना हो गए। वह 41 वर्ष पहले लगातार आठ दिन पृथ्वी के चक्कर लगाने वाले राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में रवाना होने वाले दूसरे भारतीय बनने वाले हैं। इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बुधवार को घोषणा की कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) ले जाने वाले एक्सिओम-4 मिशन को दोपहर 12.01 बजे प्रक्षेपण कर दिया गया।

  • शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 अक्तूबर 1985 को हुआ था। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे शुभांशु लखनऊ के अलीगंज में स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़े और 2001 में स्कूली शिक्षा पूरी की।
  • शुभांशु का परिवार मूलतः उत्तर प्रदेश के ही हरदोई स्थित संडीला से है। हालांकि, उनके पिता शंभू दयाल शुक्ल सत्तर के दशक में लखनऊ आ गए थे। उनकी मां गृहिणी हैं। वहीं, दो बहनें निधि और शुचि हैं।
  • शुभांशु की पत्नी डॉ. कामना डेंटिस्ट हैं और उनका एक बेटा (कियास) है। शुभांशु को परिजन प्यार से गुंजन बुलाते हैं।
  • 2003 में उन्हें एनडीए में चुना गया। ट्रेनिंग के बाद शुभांशु ने विमानन क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की और भारतीय वायुसेना का हिस्सा बने।
  • 17 जून 2006 को शुभांशु भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स को उड़ाने वाले बेड़े का हिस्सा बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने करियर में आगे बढ़ते हुए 2019 में उन्होंने विंग कमांडर की रैंक हासिल की।
  • शुभांशु फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग दो हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने एसयू-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 समेत कई तरह के विमान उड़ाए हैं।
  • 2019 ही वह साल था, जब भारत ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन- गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्री की खोज शुरू की थी। शुभांशु का सैन्य रिकॉर्ड और कॉम्बैट अनुभव यहीं अहम साबित हुआ और वे मिशन के लिए चुने जाने वालों में से एक बने।

एनडीए, एसएसबी दोनों में चयनित

भारतीय सेना में शामिल होने वाले शुभांशु अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं। उनके परिजन चाहते थे कि शुभांशु सिविल सेवा में जाएं या फिर डॉक्टर बनें, लेकिन वह तो सैन्य अधिकारी बनने की ठाने बैठे थे। उनके एनडीए में चयन की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। शुभांशु ने सेना में जाने के लिए एसएसबी का फॉर्म भरा था। वहीं, उनका एक दोस्त एनडीए का फॉर्म लेकर आया, लेकिन दोस्त का मन पलट गया और उसने एनडीए का फॉर्म भरने से इन्कार कर दिया। शुरू से ही अवसर को भांपने में माहिर शुभांशु ने अपने दोस्त से एनडीए वाला फॉर्म ले लिया और खुद भर दिया। संयोग से शुभांशु का एसएसबी और एनडीए, दोनों में चयन हो गया, लेकिन उन्होंने एनडीए में जाने का निश्चय किया।

एक्सिओम मिशन की लॉन्चिंग से पहले शुभांशु के घर पर जश्न का माहौल है। उनके अंतरिक्ष रवाना होने से उनके घर को उनकी जीवन यात्रा से जुड़े पोस्टर लगाकर सजाया गया है। साथ ही इसमें उनको इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दी गई है। इनमें वह अलग-अलग कार्यक्रमों में दिख रहे हैं। किसी में प्रधानमंत्री मोदी उनका हौसला अफजाई कर रहे हैं। किसी में वह प्रशिक्षण स्थान पर दिख रहे हैं।

एक्सिओम मिशन के लिए कैसे हुआ चुनाव?

इसरो ने पिछले साल ही एलान किया था कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल और एक और भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को आईएसएस के लिए भेजे जाने वाले भारत-अमेरिका के साझा मिशन के लिए चुना गया है। ऐसा नासा की तरफ से मान्यता प्राप्त सेवा प्रदाता एक्सिओम स्पेस इंक की सिफारिश पर किया गया।
शुभांशु शुक्ल को एक प्रधान अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया है। प्रधान अंतरिक्ष यात्री वह होता है, जिसे उड़ान भरने के लिए चुना जाता है। उनके अलावा प्रशांत बालकृष्णन नायर को एक बैकअप अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना गया है। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में अंतिम समय में अंतरिक्ष यात्री को बदलने की जरूरत होती है तो बैकअप ही इसके लिए तैयार रहता है।

एक्सिओम के मिशन में कौन-कौन होगा शुभांशु का साथी यात्री?

इस मिशन को एक्जियोम और नासा एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की मदद से अंजाम देंगे। स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका की कमांडर पेगी व्हिट्सन, पोलैंड से मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोज उज्नान्स्की शामिल रहेंगे। इसके अलावा हंगरी के मिशन स्पेशलिस्ट टिबोर कापू भी अभियान में शामिल रहेंगे।

यह मिशन सिर्फ शुभांशु के लिए निजी तौर पर अहम नहीं होगा, बल्कि एक्सिओम-4 के जरिए वे भारत के अपने गगनयान मिशन के लिए भी तैयारी करेंगे। इस मिशन में हासिल किए गए अनुभव के जरिए शुक्ला गगनयान के बाकी सह-यात्रियों की मदद भी कर सकेंगे। खासकर अंतरिक्ष के माहौल का सीधा अनुभव उनकी और मिशन के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।

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