Sri ram : विश्वास के बहाने!

Sarvesh Kumar Srimukh

Sri ram : सबसे पहले तो यह स्पष्ट होना चाहिये कि राम चर्चा करने के लिए किसी का जनेवधारी होना आवश्यक नहीं है। सच तो यह है कि रामचर्चा के लिए हिन्दू होने की भी बाध्यता नहीं, रसखान और जायसी जैसे अहिन्दू भी राम-गीत गाते रहे हैं। इसके लिये केवल प्राणिमात्र होना ही एकमात्र आवश्यक योग्यता है। हमारे यहाँ सुग्गा तक राम राम कहते रहे हैं। तो कुमार का बिना जनेव के रामचर्चा करना मुझे अपराध नहीं लगता। रामनाम तो मुक्ति का मार्ग है बन्धु, अंततः सबको जपना ही होगा। आनन्द तो तब आये जब समूचा संसार रामजी के गीत जपे। क्या कुमार, क्या आप, क्या हम, या क्या बिल गेट्स…


कुमार जिस मंच से रामकथा कहते हैं वह ब्यास पीठ नहीं है। वे किसी भी सम्प्रदाय से दीक्षित संत या विद्यार्थी नहीं हैं, तो उनके मंच को ब्यासपीठ कहा भी नहीं जा सकता। हाँ जिस तरह भोजपुरिया इलाके में कथा गाने वाले गायक स्वयं को ब्यास कहते हैं( सुखनन्दन ब्यास, गायत्री ब्यास, भरत ब्यास आदि) उस भाव से कोई कुमार को कथा ब्यास कहे तो कह ले, पर उनकी पीठ किसी भी सम्प्रदाय की पीठ नहीं है, यह स्पष्ट है। जहाँ तक मुझे याद है, कुमार ने कभी ऐसा दावा किया भी नहीं है। तो इस हिसाब से भी कुमार का कथा गायन अपराध नहीं है।
कुमार मूलतः कवि हैं। अच्छे वक्ता हैं। उम्र के उत्तरार्ध में उन्होंने कथा कहनी शुरू की। मैं यह भी मान लेता हूँ कि उनका मूल लक्ष्य धन कमाना ही है। तो धन कमाना अपराध है क्या? इस देश में हजारों लेखक कवि ऐसे हैं जो हिन्दू परंपराओं को गाली दे कर रोटी चला रहे हैं। वे हमारे आराध्यों के सम्बंध में उलूल जुलूल लिखते रहे हैं और इसी के बल पर बड़े बड़े सम्मान पाते रहे हैं। हमने क्या बिगाड़ लिया उनका? कुमार उनसे तो बेहतर ही हैं। नहीं हैं क्या?
कुमार विश्वास एक कट्टर परंपरावादी ब्राह्मण हों, ऐसा भी नहीं। उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है। आधुनिक विद्वान जिस हिंदुत्व का समर्थन करते हैं, कुमार का जीवन लगभग उसी के अनुरूप रहा है। फिर हम या आप उनसे परंपराओं के प्रति कठोर समर्पण की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
कुमार की ‘अपने अपने राम’ मैंने भी अनेकों बार सुनी है। मेरे एक साथी शिक्षक खाली समय में सुनते रहते हैं। राम कथा के माध्यम से पारिवारिक मूल्यों की बात मुझे भी अच्छी लगती है। यह सुन्दर है। ऐसी कथा जनेवधारी विश्वास शर्मा गावें या कोई विश्वास वाल्मीकि, मुझे अच्छा ही लगेगा। राम राम गाने वाला हर व्यक्ति मुझे अपना भाई ही लगेगा।
अंत में- डॉ विश्वास कुमार शर्मा को जनेव अवश्य पहनना चाहिये, यह मेरा व्यक्तिगत मत है। हमारी परंपराएं इतनी भी हल्की नहीं कि उन्हें इग्नोर किया जा सके।

TAGGED:
Share This Article
Leave a Comment