- अंडमान को भारत में सबसे पहले आजाद होने का गौरव!
subhash chandra bose : देश को आजाद कराने के लिए न जानें कितने ही सपूतों ने अपने-अपने तरीकों से लड़ाई लड़ी और बहुतों ने तो अपने प्राणों की आहुति भी दी। इस लड़ाई में कोई क्रांतिकारी बना तो कोई गांधी जी के अहिंसावादी रास्ते पर चला। ऐसे ही एक वीर सपूत थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जिन्होंने एक अलग राह पकड़ी और आजाद हिंद फौज का गठन किया।
इतिहास में ऐसे कई पन्ने दर्ज हैं जिनसे बहुत से लोग अनभिज्ञ हैं। ऐसा ही एक पन्ना, 30 दिसंबर 1945 और अंडमान का सुभाष चंद्र बोस से संबंध व्यक्त करता है। वर्ष 1945 की 30 दिसंबर की तारीख अपने आप में एक अलग ही इतिहास को दर्ज कराती है।
29 दिसंबर 1943 नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंडमान एंड निकोबार द्वीप के पोर्ट ब्लेयर पर पहुंचे। वो 03 दिनों के लिए यहां आए थे। 30 दिसंबर 1943 को जिमखाना ग्राउंड पर नेताजी ने तिरंगा फहराया। आज इसकी 81वीं वर्षगांठ है।
दूसरे वर्ल्ड वार में जापान ने इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था। 1942 में उनका इस पर कब्जा हुआ, जो 1945 तक बरकरार रहा। इसे 29 दिसंबर को उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार को सौंप दिया। हालांकि इस पर जापान का वास्तविक नियंत्रण बना रहा।
दरअसल, 30 दिसंबर 1945 को ही नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान की भूमि पर ध्वज फहराकर अंडमान को स्वतंत्र करने का ऐतिहासिक काम किया था। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि अंडमान को समूचे भारत में सबसे पहले आजाद होने का गौरव प्राप्त हुआ था।
सेलुलर जेल
अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के पोर्ट ब्लेयर में ही मौजूद है सेलुलर जेल(Cellular Jail), जिसे अंग्रेजों ने साल 1906 में बनाया था। इस तीन मंजिला जेल को स्वतंत्रता सेनानियों का तीर्थ स्थल भी कहते हैं। बता दें कि जब हमारा देश आजाद नहीं था और स्वतंत्रता के लिए हर कोने में ज्वाला जल रही थी, उस समय बहुत से क्रांतिकारियों को इस जेल में भेजा जाता था। इस जेल की सजा को कालापानी की सजा भी कहते थे। विनायक दामोदर सावरकर समेत अनेक स्वतंत्रता सैनानियों को इस जेल में भेजा गया था।
सुभाष ने अंडमान का नाम शहीद द्वीप रखा था
जब सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर 1943 को तिरंगा फहराया तो उन्होंने अंडमान का नाम शहीद और निकोबार का नाम स्वराज रखा। सुभाष ने जो तिरंगा फहराया था, वो कांग्रेस द्वारा अपनाया गया तिरंगा ही था, जिसके बीच की सफेद पट्टी पर चरखा बना था। इसके बाद आजाद हिंद सरकार ने जनरल लोकनाथन को यहां अपना गवर्नर बनाया। 1947 में ब्रिटिश सरकार से मुक्ति के बाद ये भारत का केंद्र शासित प्रदेश है।
नेताजी ने कहा था कि हम भारतीय भूमि पर होंगे
नेताजी ने इससे पहले जापान और सिंगापुर में अपने भाषणों में कहा भी था कि इस साल के आखिर तक आजाद हिंद फौज भारतीय धरती पर कदम जरूर रखेगी। जब पोर्ट ब्लेयर पहुंचे तो उन्होंने सेल्यूलर जेल जाकर यहां एक जमाने में बंदी बनाए गए भारतीय क्रांतिकारियों और शहीदों के प्रति श्रृद्धांजलि भी व्यक्त की।
फिर सुभाष ने क्या भाषण दिया था
अंडमान पर भारतीय तिरंगा फहराने के बाद सुभाष 03 दिन यहां रहे। 01 जनवरी को वो सिंगापुर पहुंचे। सिंगापुर में उन्होंने भाषण में कहा, आजाद हिंद फौज हिंदुस्तान में क्रांति की वो ज्वाला जगाएगी, जिसमें अंग्रेजी साम्राज्य जलकर राख हो जाएगा। अंतरिम आजाद हिंद सरकार, जिसके अधिकार में आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं और जिसे जर्मनी और जापान सहित विश्व के 09 महान देशों ने मान्यता दी है। उन्होंने हमारी सेना को भी पूरा समर्थन देने का वादा किया है।
क्या है अंडमान का मतलब
अंमान शब्द मलय भाषा के शब्द हांदुमन से आया है जो हिन्दू देवता हनुमान के नाम का परिवर्तित रूप है। निकोबार शब्द भी इसी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है नग्न लोगों की भूमि। सुन्दरता में एक से बढ़कर एक यहां कुल 572 द्वीप हैं।
आजादी की लड़ाई में क्या है इसका महत्व
ब्रिटिश शासन द्वारा इस स्थान का उपयोग स्वाधीनता आंदोलन में दमनकारी नीतियों के तहत क्रांतिकारियों को भारत से अलग रखने के लिये किया जाता था। इसी कारण यह स्थान आंदोलनकारियों के बीच काला पानी के नाम से जाना जाता था। कैद के लिए पोर्ट ब्लेयर में एक अलग कारागार सेल्यूलर जेल का निर्माण किया गया था, जो ब्रिटिश इंडिया के लिए साइबेरिया की तरह ही था।
इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।
सुभाष के नाम पर यहां एक द्वीप भी है
यहां पर एक द्वीप रास है, जिसे सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। ये ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है। ये द्वीप 200 एकड़ में फैला है। यहां बहुत ढेर सारे पक्षी रहते हैं।