सिद्धार्थ सौरभ
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर ऐक्शन पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रशासन मनमाने ढंग से किसी का घर नहीं गिरा सकता। कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी आरोपी को सजा देने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी है और कार्यपालिका जज नहीं बन सकती।
कोर्ट ने कहा कि घर सबका सपना होता है, ये बरसों का संघर्ष है और सम्मान की निशानी। अगर घर गिराया जाता है तो अधिकारी को साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था। अफसर खुद जज नहीं बन सकते। बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह कमेंट किया।
उन्होंने कहा कि बुलडोज़र से संपत्तियां ढहाना अराजकता की स्थिति है। ऐसे कृत्यों का संवैधानिक लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। हमारा संविधान इस तरह के कृत्यों की मंज़ूरी नहीं देता।
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि जो सरकारी अधिकारी इस तरह से कानून हाथ में लेकर ऐसे काम कर रहे हैं उनकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए।