Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीश को लेकर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे की ओर से की गई टिप्पणी के बाद देश में सियासी तूफान आ गया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने निशिकांत के बयान से खुद को अलग कर लिया है तो विपक्षी दलों की ओर से इस बयान पर निशाना साधा जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि शीर्ष अदालत पर उनका हमला “स्वीकार्य नहीं है. कोर्ट को उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए.
कांग्रेस के नेता मणिकम टैगोर ने निशिकांत के बयान को “अपमानजनक” करार दिया और कहा कि शीर्ष अदालत पर उनका हमला “स्वीकार्य नहीं है.” उन्होंने कहा, “यह सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ एक अपमानजनक बयान है. निशिकांत दुबे एक ऐसे शख्स हैं जो लगातार सभी अन्य संस्थानों को ध्वस्त करते रहते हैं. अब, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर हमला किया है.”
सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाना दुखदः सलमान खुर्शीद
टैगोर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के जज इस पर ध्यान रखेंगे क्योंकि वह संसद में नहीं बल्कि संसद के बाहर बोल रहे थे. सुप्रीम कोर्ट पर उनका हमला स्वीकार्य नहीं है.” कांग्रेस के एक अन्य सांसद इमरान मसूद ने कहा कि बीजेपी नेता की ओर से दिया गया यह बयान “दुर्भाग्यपूर्ण” है. मसूद ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जिस तरह के बयान आ रहे हैं, वे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं… यह पहली बार नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार के खिलाफ फैसला दिया है… यह हताशा समझ से परे है.”
पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, “अगर कोई सांसद सुप्रीम कोर्ट या किसी भी कोर्ट पर सवाल उठाता है तो यह बहुत दुख की बात है. हमारी न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का होता है. अगर कोई इसे नहीं समझता है तो यह बहुत दुख की बात है.”
आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, “उन्होंने (निशिकांत दुबे) बहुत ही घटिया बयान दिया है. मुझे उम्मीद है कि कल ही सुप्रीम कोर्ट बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगा और उन्हें जेल भेजेगा. जब भी कोई जज बीजेपी के पक्ष में फैसला देता है तो उसे राज्यसभा भेज दिया जाता है और अब जब एक जज ने यह निर्देश दिया कि कानून का पालन किया जाना चाहिए और राज्यपालों को बिलों पर अनिश्चितकाल तक नहीं बैठना चाहिए, तो बीजेपी जजों को बदनाम करने और सुप्रीम कोर्ट पर हमला करने के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है.”
सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिशः रमेश
एक अन्य पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी इस बयान पर निराशा जाहिर करते हुए कहा, “वे सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. संवैधानिक पदाधिकारी, मंत्री, बीजेपी सांसद सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट एक बात कह रहा है कि जब कोई कानून बनता है, तो आपको संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ नहीं जाना चाहिए और अगर कानून संविधान के खिलाफ है, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.”
उन्होंने यह भी कहा, “जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने जो किया है वह असंवैधानिक है.”
डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने भी निशिकांत के बयान की आलोचना की. उन्होंने कहा, “उन्हें कुछ नहीं जानते. सुप्रीम कोर्ट देश के कानूनों की रक्षा के लिए होता है. सरकार बर्बर है क्योंकि वे किसी भी कानून का सम्मान नहीं करती. वे जो चाहें करती है और संविधान के प्रावधानों को बदलने की कोशिश करते हैं. बीजेपी सभी कानूनों के खिलाफ जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कानून के खिलाफ न जाने की सलाह दी है.”
बीजेपी के लोग कोर्ट को धमका रहेः ओवैसी
हैदराबाद से सांसद और AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “आप लोग (बीजेपी) ट्यूबलाइट हैं. इस तरह से कोर्ट को धमका रहे हैं. क्या आपको पता है कि (अनुच्छेद) 142 (संविधान का) क्या है?, इसे आंबेडकर ने बनाया था. बीजेपी धोखाधड़ी कर रही है और धार्मिक युद्ध की धमकी दे रही है.
निशिकांत दुबे के गृह राज्य से भी उन पर हमला किया गया है. निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा, “देश में तानाशाही इस स्तर पर पहुंच गई है कि अब संसद का एक सदस्य कोर्ट को चुनौती दे रहा है. क्या ये लोग जजों से ज्यादा विद्वान हो गए हैं? बहुमत के अंधेरे में ये क्या कुछ कर लेंगे और कोर्ट चुप रहेगा? जब कोर्ट इनके पक्ष में फैसला देता है तो ये कहते हैं कि न्यायपालिका लोकतंत्र का तीसरा स्तंभ है.” उन्होंने कहा कि कोर्ट को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.”