आचार्य पंडित सनत कुमार द्विवेदी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) : तुलसी विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है. दिवाली के बाद कार्तिक माह में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है. तुलसी के पौधे की विशेष पूजा की जाती है और विवाह कराया जाता है. तुलसी विवाह विशेष रूप से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन किया जाता है. तुलसी को बहुत पवित्र माना जाता है. घर में तुलसी का पौधा उगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. शालिग्राम शिला भगवान विष्णु का प्रतीक है. तो इस खास दिन पर इन दोनों की शादी कराने से भक्तों को धार्मिक पुण्य मिलता है. तुलसी विवाह के दिन क्या करें.. आइए जानते हैं इस दिन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए.
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की द्वादशी तिथि 12 नवंबर, मंगलवार को शाम 4 बजकर 02 मिनट पर शुरू हो रही है. यह तिथि बुधवार, 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, 13 नवंबर को तुलसी विवाह मनाया जाता है.
तुलसी विवाह के दिन पालन करने योग्य नियम
1.तुलसी का पौधा
- तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें.
- तुलसी के पौधे को गंगाजल से स्नान कराएं.
- तुलसी के पौधे को फूलों और रोली से सजाएं.
2.शालिग्राम शिला
- शालिग्राम शिला को भी अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें.
- शालिग्राम शिला को भी गंगाजल से स्नान कराएं.
- शालिग्राम शिला को फूलों और रोली से सजाएं.
3.विवाह मंडप
- तुलसी और शालिग्राम के विवाह के लिए एक छोटा सा मंडप सजाएं.
- मंडप को फूलों और रंगोली से सजाएं.
4.पूजा विधि
- विधि-विधान से तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न करें.
- विवाह के दौरान मंत्रों का जाप करें.
- विवाह के बाद तुलसी और शालिग्राम को प्रसाद चढ़ाएं.
5.व्रत
- तुलसी विवाह के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है.
- व्रत रखने से मन शुद्ध होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
6.दान
- तुलसी विवाह के दिन दान करना बहुत पुण्यदायी होता है.
- आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी भी चीज का दान कर सकते हैं.
7.कथा सुनें
- तुलसी विवाह की कथा सुनने से मन शांत होता है और आत्मिक शक्ति मिलती है.
विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के उपाय
तुलसी का पत्ता: तुलसी के पत्ते को गंगाजल में मिलाकर पीने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.
तुलसी का तेल: तुलसी के तेल की एक बूंद माथे पर लगाने से भी लाभ होता है.
तुलसी का माला: तुलसी की माला को धारण करने से भी लाभ होता है.
तुलसी विवाह के दिन क्या करें?
- तुलसी विवाह के दिन पूजा से पहले तुलसी के पौधे को अच्छे से धोना चाहिए. तुलसी के पत्तों को निकालकर साफ पानी से धो लें.
- फिर तुलसी को हल्दी, केसर और चंदन से सजाएं.
- शालिग्राम पत्थर को गंगा जल से धोकर साफ करें और तुलसी के पत्तों से सजाएं.
- तुलसी विवाह के लिए एक छोटा मंडप तैयार करें और सजाएं. मंडप को फूलों से सजाएं और तुलसी के पौधे के पास सुंदर मग से सजाएं.
- पूजा के लिए जरूरी सभी चीजें जैसे दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, चावल, फूल, फल आदि इकट्ठा कर लें.
- विवाह के दौरान मंत्रों का जाप करें. पूजा की विधि और कथा पढ़ने के लिए पंडितों को बुलाया जा सकता है.
- विवाह के बाद तुलसी का दान शुभ माना जाता है. गरीबों को भोजन या कपड़े का दान करना शुभ होता है.
तुलसी विवाह के दिन क्या न करें?
- तुलसी विवाह के दिन तुलसी दल नहीं ले जाना चाहिए.
- तुलसी के पौधे के विवाह के दिन मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.
- इस दिन शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए.
- किसी से झगड़ा न करें. किसी से भी बहस करने से बचें.
- शादी के दिन नकारात्मक विचारों से बचें. पूरी श्रद्धा से पूजा करें.
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. वह धन, समृद्धि, सुख और शांति की देवी हैं. घर में तुलसी का पौधा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. शालिग्राम शिला को विष्णु का अवतार माना जाता है. विष्णु सभी देवताओं के मुखिया हैं. तुलसी विवाह के दिन इन दोनों की पूजा करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता के अनुसार तुलसी के पौधे का विवाह करने से घर में धन की वृद्धि होती है.