कौशल किशोर शुक्ला
Vande Mataram : लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित लगभग 10 घंटे की विशेष चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर दी, उन्होंने विपक्ष विशेषकर कांग्रेस पर तीखे हमले किए, इसे विभाजनकारी राजनीति का प्रतीक बताया।
पीएम ने कहा, वंदे मातरम केवल शब्द नहीं, बल्कि एक मंत्र, ऊर्जा, सपना और दृढ़ संकल्प है। यह स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा, प्रेरणा और त्याग का मार्ग दिखाने वाला ‘युद्धघोषक’ था, यह भारत माता को उपनिवेशवाद के अवशेषों से मुक्त करने का पवित्र नारा था।
उन्होंने सदन के सभी सदस्यों का आभार माना, कहा कि यहां नेतृत्व या विपक्ष का भेद नहीं, हम सब वंदे मातरम के ऋण को चुकाने के लिए एकत्र हैं। लाखों लोगों ने इसे गाकर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी, इसलिए हम आज यहां बैठे हैं।
जब वंदे मातरम ने 50 वर्ष पूरे किए, भारत ब्रिटिश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में रचित यह गीत ‘आनंदमठ’ उपन्यास के माध्यम से स्वराज, स्वदेशी और पर्यावरण जागरूकता का प्रतीक बना।
100 वर्ष पूरे होने पर देश इंदिरा गांधी के आपातकाल के अंधेरे दौर से गुजर रहा था, जब लोकतंत्र कुचला गया और संविधान की आवाज दबाई गई।
आज हम सौभाग्यशाली हैं कि स्वतंत्र भारत में इसकी पुण्य स्मृति कर रहे हैं। मोदी ने इसे गौरव की बहाली का अवसर बताया।
कहा, ब्रिटिश ‘गाड सेव द क्वीन’ को घर-घर ले जाना चाहते थे, लेकिन वंदे मातरम ने इसका डटकर मुकाबला किया। यह गीत रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा संगीतबद्ध होकर स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न अंग बना।
मोदी ने कांग्रेस पर सीधा प्रहार किया, कहा – नेहरू जी जिन्ना के दबाव में झुक गए, 1937 के फैजाबाद अधिवेशन में गीत के प्रमुख छंदों को हटा दिया गया, जो विश्वासघात था।
यह अन्याय बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ा और विभाजन के बीज बोया। नेहरू जी ने कहा कि यह मुसलमानों को उकसाता है, यह विभाजनकारी मानसिकता का प्रमाण है।
मोदी ने सवाल उठाया कि अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले इस गीत के साथ अन्याय क्यों? हमें गर्व से बोलना चाहिए, तभी दुनिया मानेगी।
यह हिस्सा भाषण का सबसे तीखा हिस्सा था, जो सदन में हंगामा भी पैदा कर सकता था।
फिलहाल, चर्चा शुरू हो चुकी है। अभी कांग्रेस की ओर से की जाने वाली चर्चा भी दिलचस्प होगी, यह निश्चित है…!
