Varshikotsav: श्री साहित़्य कुंज का छठाँ वार्षिकोत्सव संपन्न

Bindash Bol

Varshikotsav: श्री साहित्य कुंज का छठवां वार्षिकोत्सव दिनांक 20-04-2025 को लालपुर स्थित होटल सिटी होटल में धूमधाम से मनाया गया।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्वलित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य संस्कृति मंच के वर्तमान अध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव द्वारा की गयी। जमशेदपुर से हुलास मंच के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार श्यामल सुमन झा जी ने मुख्य अतिथि के रूप में की मंच की शोभा बढ़ाई। जमशेदपुर की वरिष्ठ साहित्यकार प्रतिभा प्रसाद ‘कुमकुम’, पूर्व प्रचार्या डॉ उर्मिला सिन्हा, कुंज कार्य समिति की उपाध्यक्ष आ. निर्मला कर्ण, राँची विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी
विभागाध्यक्ष डॉ जंगबहादुर पांडेय, धनबाद से राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के संस्थापक प्रचार्य वासुदेव प्रसाद, राँची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक प्रमोद झा, राँची के वरिष्ठ साहित्यकार राकेश रमन ‘रार’, राँची के वरिष्ठ कवि गीतकार चंद्रिका ठाकुर ‘देशदीप’, राँची के प्रसिद्ध गजलकार एवं पूर्व डीएसपी कामेश्वर प्रसाद ‘कामेश’, राँची की वरिष्ठ कवियत्री रेणु झा ‘रेणुका’ विशिष्ट अतिथि के तौर पर मंच की गरिमा बढ़ाई।
इस आयोजन में तीन साझा संग्रह और एक वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया गया। कुंज को दो रचनाकार सिम्मी नाथ व खुशबू बरनवाल को एकल पुस्तक सम्मान ‘साहित्य नव प्रभा’ प्रदान किया गया। वार्षिक प्रतियोगिता के विजयी रचनाकारों को सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया,वहीं तीन रचनाकारों को साहित्य नव लेखन सम्मान से सम्मानित किया गया। अपने अध्यक्षीय भाषाण में पत्रिका पर रोशनी डालते हुए निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा यह संपूर्ण विविध विषयों को समाहित करती पत्रिका है। श्यामल सुमन जी ने कहा रचनाकारों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना एक पुण्य कार्य है।
पूर्व दूरदर्शन निदेशक प्रमोद झा जी मे कहा कि यह अपने नाम सहित्य संवाहक को सार्थक करती पत्रिका है। आयोजन कुंज की अध्यक्ष प्रतिमा त्रिपाठी जी ने अपने उद्बोधन में साहित्यिक जिम्मेदारियों के निर्वाह के लिये सभी लेखनीधारकों को एक साथ होने की बात को रखी।।
मंच की संस्थापिका मनीषा सहाय ‘सुमन’ जी द्वारा कुंज के कार्यो का ब्योरा रखते हुए आगे की योजनाओं पर प्रकाश डाला। सफल सुंदर संचालन का दायित्व बिंदु प्रसाद ‘रिद्धिमा’, भावना अम्बष्ठा मधुमिता साहा एवं सिम्मी नाथ जी द्वारा किया गया। सरस्वती वंदन कविता रानी सिंह जी द्वारा की गई।
इस अवसर पर मंच द्वारा प्रकाशित तीन साझा काव्य कृतियों, ‘प्रतिनिधि कविताएं’ भाग-२, गजल संग्रह ‘कहकशाँ’, झारखंड की तमाम बोलियों की मुखर दस्तावेज बहुभाषीय काव्य संग्रह ‘अरण्य रसना’ का लोकार्पण व वितरण भी हुआ।

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