Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी का त्योहार हर साल मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. आज मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है, इसलिए आज विवाह पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है. विवाह पंचमी के दिन पूरे विधि-विधान से भगवान राम और माता सीता का पूजन किया जाता है. साथ ही व्रत रखा जाता है.
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, विवाह पंचमी के दिन माता सीता और भगवान श्रीराम विवाह के बंधन में बंधे थे. विवाह पंचमी के दिन मंदिरों में भगावान और माता सीता का विवाह कराया जाता है. इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. विवाह पंचमी के दिन पूजा के समय व्रत कथा का पाठ भी अवश्य किया जाता है. इस दिन व्रत कथा पढ़ने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है, तो आइए पढ़ते हैं विवाह पंचमी की व्रत कथा.
विवाह पंचमी व्रत कथा (Vivah Panchami Vrat Katha)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि के दिन माता सीता का स्वयंवर हुआ था. मिथिला के राजा जनक ने स्वयंवर आयोजित किया था. इस स्वयंवर में कई पराक्रमी और महान राजा पहुंचे थे. गुरु वशिष्ठ के साथ भगवान श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण भी इस स्वंयवर में पहुंचे थे. स्वयंवर में राजा जनक ने शर्त रखी थी कि जो भी शिव जी के विशाल पिनाक धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी से वो अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे.
इसके बाद सभी राजा-महाराजाओं ने धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया. इसके बाद भगवान राम ने शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा दी और धनुष टूट गया. फिर भगवान राम को माता सीता ने अपना वर चुन लिया और दोनों का विवाह हो गया. भगावन शिव का धनुष तोड़ने की वजह से श्रीराम का यश तीनों लोकों में फैल गया. भगवान राम और माता सीता के विवाह के बाद हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. बिंदास बोल न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है.
