Current Account : सोचिए आपके घर का बजट है..महीने में जितना पैसा आता है (जैसे सैलरी, दुकान की कमाई), उसमें से खर्च (राशन, बिजली, बच्चों की फीस) निकाल दें, तो जो बचता है वो बचत है। अगर खर्च ज़्यादा हो जाए, तो जेब से या उधार लेकर पूरा करना पड़ता है, इसे घाटा कहते हैं। देश के लिए भी यही फंडा है, बस इसे चालू खाता (Current Account) कहते हैं।
चालू खाता देश के बाहर से आने-जाने वाले पैसों का हिसाब है। जैसे हम क्या-क्या विदेशों को बेचते (निर्यात) हैं, क्या खरीदते (आयात) हैं, विदेशों से सर्विसेज़ (जैसे आईटी, बिजनेस सर्विस) से कितना कमाते हैं और विदेशों में काम करने वाले भारतीय कितना पैसा भेजते हैं।
- अगर कमाई ज्यादा, खर्च कम: तो सरप्लस (बचत)
- अगर खर्च ज्यादा, कमाई कम: तो घाटा
ताज़ा खबर यह है कि –
इस बार भारत ने चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) में 13.5 अरब डॉलर सरप्लस कमाया है। यानी जो पैसा देश में आया, वो गया पैसे से ज्यादा है। पूरे साल 2024-25 में चालू खाता घाटा GDP का सिर्फ 0.6% रहा, जो पिछले 21 साल में सबसे कम है। मतलब सोचिए जरा जो महिमामंडित अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह भी नहीं कर सके,जो गगनचुंबी अर्थशास्त्री चिदंबरम नहीं कर सके, प्रणव दा और अरुण जैटली नहीं कर सके वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में निर्मला सीतारमण जैसी साधारण पृष्टभूमि की महिला ने कर दिखाया।
आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे ?
भारत के आईटी, बिजनेस, कंप्यूटर सर्विसेज़ का निर्यात बहुत बढ़ा है। दुनिया भर की कंपनियां भारतीयों की सेवाएं ले रही हैं, जिससे ढेर सारा डॉलर आ रहा है।
रिमिटेंस यानी विदेशों में बसे भारतीयों ने अपने घर खूब पैसा भेजा, जिससे देश में खूब डॉलर आया। क्यूंकि भारत सरकार ने रेमिटेंस नियमों को आसान और लचीला बनाया है। अब NRI अपने परिवार को पहले से ज्यादा पैसा भेज सकते हैं और डिक्लेरेशन की लिमिट भी बढ़ा दी गई है (अब सालाना ₹10 लाख तक बिना सरकार को बताए पैसा भेज सकते हैं)।
इधर कुछ वर्षों में भारतीय खाड़ी देशों (जैसे UAE, सऊदी अरब) को छोड़कर विकसित देशों (जैसे अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया) की ओर जा रहे हैं, जहां वेतन ज्यादा मिलता है और वो भी डॉलर-पाउंड जैसी मजबूत करेंसी में, जिससे वे अपने घर ज्यादा पैसा भेज सकते हैं।
कच्चा तेल, सोना, मशीनें ये सब भारत बाहर से मंगाता है। इस बार इनकी कीमतें थोड़ी काबू में रहीं, तो खर्च कम हुआ।
जब देश में डॉलर ज्यादा आएंगे, तो रुपया कमज़ोर नहीं होगा और आम आदमी को फायदा पहुंचेगा, आप पूछेंगे कैसे? तो सुनिए ! इससे महंगाई काबू में रहेगी और नौकरी और बिजनेस के मौके बढ़ेंगे।
डॉलर की कमी नहीं होगी, तो पेट्रोल-डीज़ल,इंपोर्टेड सामान महंगे नहीं होंगे। अब ये भी जान लीजिये कि कैसे….
अगर देश में डॉलर की कमी हो जाए, तो डॉलर की कीमत (डॉलर के मुकाबले रुपया) बढ़ जाती है। और जब डॉलर महंगा होता है, तो भारतीय मुद्रा में कच्चा तेल और बाकी इंपोर्टेड सामान खरीदना भी महंगा हो जाता है।
भारत का चालू खाता अब घाटे से निकलकर सरप्लस की ओर बढ़ रहा है और ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छी खबर है। इसका सीधा असर आपकी जेब, रोजगार और महंगाई पर पड़ेगा। उम्मीद है कि आगे भी ये ट्रेंड जारी रहेगा।
सीधे शब्दों मे कहें तो-
जैसे घर में कमाई खर्च से ज्यादा हो जाए तो सब खुश, वैसे ही देश के लिए भी ये खुशी की बात है!