Kharmas 2024 : खरमास हर साल में दो बार लगता है. पहला खरमास जब सूर्यदेव धन राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा जब सूर्यदेव मीन संक्राति के समय लगता है. खरमास की अवधि कुल एक माह की होती है. इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. कथाओं के अनुसार, सूर्यदेव धरती के संचालन के लिए लगातार 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं. लेकिन खरमास के दौरान सूर्यदेव गति धीमी हो जाती है. आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है. पीछे क्या कहानी है.
खरमास की कहानी (Kharmas 2024)
खरमास से जुड़ी एक कथा का वर्णन मार्कण्डेय पुराण में मिलता है. संस्कृत में खर का अर्थ गधा होता है.खरमास की कहानी गधे और सूर्य देव से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार एक बार सूर्य देव अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे. लेकिन एक लेकिन उनके घोड़ों को आराम की जरूरत होती है. वे भूख प्यास लगने से थक जाते हैं. इस तरह ब्रह्मांड की परिक्रमा के दौरान घोड़ों की दयनीय दशा देखकर सूर्य देव को भी तरस आ गया और उन्होंने सोचा कि क्यों ना इन्हें पानी पिला दिया जाए और थोड़ा आराम कर लिया जाए लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि रथ रूक गया तो सृष्टि चक्र प्रभावित होगा.
इस दौरान उनकी नजर तालाब किनारे चर रहे दो खर पर पड़ी. सूर्य देव ने सोचा कि क्यों ना घोड़ों को विश्राम के लिए छोड़ दिया जाए और रथ में इन खरों यानी गधों को बांधकर परिक्रमा की जाए. सूर्य देव ने ऐसा ही किया और गधों को रथ में बांध लिया. अब गधे घोड़ों का मुकाबला कैसे कर सकते हैं, वो पूरे खरमास में परिक्रमा तो लगाते रहे लेकिन उनकी स्पीड बहुत कम हो गई. रथ की गति कम होने के कारण ही सूर्य देव का तेज भी कमजोर हो गया. यही कारण है कि खरमास के दौरान धरती पर सूर्य देव का वो तेज प्रकट नहीं हो पाता जो बाकी महीनों में होता है. इसके बाद मकर संक्रांति आते ही मौसम बदलता है और फिर से वही ऊर्जावान सूर्य देव धरती पर प्रकट होते हैं.
इसका कारण है कि मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव ने उन खरों को वापस तालाब के किनारे छोड़ा था और अपने घोड़ों को वापस रथ में शामिल कर फिर से अपनी रफ्तार पकड़ी थी. इसका असर यह हुआ कि खर की धीमी गति के कारण सूर्य देव की परिक्रमा की गति धीमी हो गई. किसी तरह एक माह का चक्र पूरा हुआ. इस बीच धीमी गति से सूर्यदेव ने परिक्रमा का काम पूरा किया. तब तक घोड़ों ने आराम कर लिया था. हर सौर वर्ष में इसी तरह का चक्र चलता रहता है और इस बीच एक माह का खरमास आता है. माना जाता है जिस महीने सूर्य देव प्रभावित हुए, उस महीने का खराब असर मनुष्य के जीवन पर भी पड़ेगा.